इंदौर-त्याग के मार्ग को आत्मसात कर नीरस भोजन करने वाले संतों-मुनियों के प्रवचन सरस होते हैं, जो सभी के लिए कल्याणकारी होते हैं। जो आत्म साधना में लीन रहते हों उन्हें सुख-दु:ख का आभास नहीं होता। ऐसे लोगों के लिए साधना भी सर्वश्रेष्ठ है।
उक्त विचार मुनि श्री निर्वेग सागर जी महाराज ने कंचनबाग स्थित जैन मंदिर में आयोजित श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान अंतर्गत हुई धर्मसभा में व्यक्त किए। समापन अवसर 21 मार्च को सुबह 8 बजे 51 हवन कुंडों में सिद्ध परमेष्ठी की आराधना की जाएगी। सवा लाख मंत्रों की आहुति दी जाएगी। सुबह 9 बजे मंदिर से विशाल रथयात्रा निकाली जाएगी, जो जाल सभागृह नाथ मंदिर, एमजी रोड, घंटाघर होते वापस समवशरण मंदिर पहुंचेगी।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
उक्त विचार मुनि श्री निर्वेग सागर जी महाराज ने कंचनबाग स्थित जैन मंदिर में आयोजित श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान अंतर्गत हुई धर्मसभा में व्यक्त किए। समापन अवसर 21 मार्च को सुबह 8 बजे 51 हवन कुंडों में सिद्ध परमेष्ठी की आराधना की जाएगी। सवा लाख मंत्रों की आहुति दी जाएगी। सुबह 9 बजे मंदिर से विशाल रथयात्रा निकाली जाएगी, जो जाल सभागृह नाथ मंदिर, एमजी रोड, घंटाघर होते वापस समवशरण मंदिर पहुंचेगी।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी