तोमर - सिंधिया साथ थे लेकिन एक-दूसरे का नाम लेने से परहेज





ग्वालियर । मध्यप्रदेश सरकार और भाजपा में ज्योतिरादित्य सिंधिया के दखल के साइड इफेक्ट नजर आने लगे हैं। खासकर ग्वालियर-चंबल में सिंधिया की सक्रियता से सियासी घमासान के संकेत हैं। 




सोशल मीडिया पर यह मैसेज ट्रेंड करने लगा है कि सिंधिया की केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से दूरी खाई में बदल रही है। मुख्यमंत्री की एक बैठक के बाद दोनों की सोशल मीडिया पोस्ट इसी ओर इशारा कर रही है। 16 मई को ग्वालियर में क्राइसिस मैनेजमेंट की बैठक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई। इस दौरान केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद थे।




बैठक के बाद दोनों नेताओं ने सोशल मीडिया पर अफसरों को अलग-अलग बयान दिए। पहले सिंधिया ने सोशल मीडिया पर लिखा- काेरोना संक्रमण की समीक्षा बैठक में ग्वालियर संभाग में ऑक्सीजन, दवा व बेड की कमी काे लेकर अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को टैग किया, लेकिन केंद्रीय मंत्री तोमर के नाम का उल्लेख नहीं किया।





कुछ घंटे बाद केंद्रीय मंत्री तोमर ने बैठक की फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की। उन्होंने भी लिखा- अफसरों को दिशा-निर्देश दिए गए हैं। तोमर ने भी मुख्यमंत्री को टैग किया, लेकिन सिंधिया को नहीं, जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोशल मीडिया पर दोनों को टैग किया।





उप चुनाव में बढ़ने लगी थी दूरियां


बीजेपी सूत्रों के अनुसार सिंधिया और तोमर के बीच दूरियां बढ़ने की शुरुआत तो उपचुनाव के दौरान ही हो चली थी और नतीजे आने के बाद यह दूरी साफ नजर आने लगी थी। मुरैना शराब कांड ने साफ कर दिया है कि दोनों नेताओं के रिश्ते वैसे नहीं रहे जैसे पहले हुआ करते थे।


नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र में गए थे सिंधिया


उपचुनाव के बाद इसी साल जनवरी में ग्वालियर-चंबल का दौरे के बाद सिंधिया की नई सियासी कहानी की शुरुआत हो गई थी। वह मुरैना के उन दो गांव में पहुंचे थे, जहां जहरीली शराब पीने से 25 लोगों की मौत हो गई थी। यह दोनों गांव केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र में आते हैं।



सिंधिया ने यहां पीड़ितों का न केवल दर्द बांटा, बल्कि प्रभावितों के परिवारों को 50-50 हजार रुपए की आर्थिक सहायता भी दी थी। सिंधिया ने भरोसा दिलाया था कि राज्य सरकार दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। साथ ही, कहा कि वह लोगों के सुख में भले खड़े न हों, लेकिन संकट के समय उनके साथ हैं।


बीजेपी का एक भी बड़ा नेता नजर नहीं आया था


सिंधिया के मुरैना और ग्वालियर प्रवास के दौरान भाजपा का कोई बड़ा नेता तो उनके साथ नजर नहीं आया था। बल्कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए तमाम बड़े नेता जैसे राज्य सरकार के मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, सुरेश राठखेड़ा, ओपीएस भदौरिया आदि मौजूद रहे। संगठन से जुड़े लोग और मंत्री भारत सिंह कुशवाहा जो तोमर के करीबी माने जाते हैं उन्होंने सिंधिया के दौरे से दूरी बनाए रखी थी।


अगले ही दिन पहुंच गए थे तोमर


सिंधिया के दौरे के अगले दिन ही केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर शराब कांड प्रभावित परिवारों के बीच पहुंचे और उनकी पीड़ा को सुना था। तोमर के इस प्रवास के दौरान सिंधिया का समर्थक कोई भी मंत्री नजर नहीं आया। उस समय तोमर ने कहा था- घटना वाले दिन मैंने मुख्यमंत्री से चर्चा की और मैं लगातार टेलीफोन पर संपर्क में रहा। जो भी दोषी है, उन पर कठोर कार्रवाई की जरूरत है।


प्रदेश अध्यक्ष ने दिया था सिंधिया को श्रेय


एक तरफ जहां सिंधिया और तोमर के बीच दूरी बढ़ रही है तो दूसरी ओर भोपाल में प्रदेश कार्यसमिति के पदाधिकारियों के आयोजित पदभार ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने सिंधिया की खुलकर सराहना की थी। साथ ही उन्होंने राज्य में भाजपा की सरकार बनने का श्रेय भी सिंधिया को दिया था।

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