पारस जैन " पार्श्वमणि" पत्रकार-राणा ,प्रताप, मीरा ,पन्नाधाय और हाड़ीरानी की पावन वसुंधरा राजस्थान प्रांत की माटी वीरों की धरती है इस माटी में वह तासीर है कि यह माटी दूर-दूर से ऋषि मुनि और संतों को अपनी और खींच लेती है ऐसा ही हुआ।* *आज के इस युग के धरती के देवता संत शिरोमणि प्रातः स्मरणीय आचार्य 108 विद्यासागर जी महाराज जो कि यहां से हजारों किलोमीटर दूर कर्नाटक प्रांत के एक छोटे से ग्राम सदलगा से अजमेर की पावन वसुंधरा की ओर खींच कर आ गए।यहाँ उनकी परम पूज्य आचार्य परम पूज्य आचार्य 108 ज्ञान सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में शिक्षा और दीक्षा पूर्ण हुई। और आचार्य पद भी दिया गया। यहीं पर नसीराबाद जिला अजमेर में संत शिरोमणि आचार्य 108 विद्यासागर जी महाराज के गुरु आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज की समाधि स्थल भी बना हुआ है। यह अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है।* *हम राजस्थान वासी बीज बोने में विश्वास रखते हैं जब बीज बोया जाता है उसके बाद पुष्पित व पल्लवित होने के बाद में फल फूल जब लगते हैं उन्हें हम उसको पाने में इच्छा नहीं रखते हैं। देवी अहिल्या की पावन वसुंधरा औद्योगिक नगरी इंदौर नगरी में विराजमान संत शिरोमणि आचार्य 108 विद्यासागर जी महाराज ससंघ के पावन श्री चरणों में इस युग के दान के क्षेत्र के बेताज बादशाहराजा चामुंडराय की उपाधी से युक्त देव शास्त्र गुरु के परम भक्त प्रभावशाली व्यवहार कुशल श्रधेय श्री अशोक जी पाटनी (आर .के .मार्बल प्राइवेट लिमिटेड )ने अपनी भावना गुरुदेव के सन्मुख रखते हुए उनको राजस्थान आने का भाव भरा आमंत्रण दिया जब वह निवेदन कर रहे थे तो उनके एक एक शब्दों में अटूट श्रद्धा समर्पण झलक रहा था । वह भाव विभोर हो गए।* *में भी स्वयं लेखक पारस जैन " पार्श्वमणि अपने को रोक नही पाया मेरी भी आँखे सजल हो गई। उन्होंने गुरुदेव से कहा की 17 साल होगए नारेली तीर्थ क्षेत्र मंदिर बने हुए ।*
*। आपके पावन चरण वहां पड़े । यही भावना है ।और हम सब की मंगल भावना है कि वहाँ ऐतिहासिक अद्भुत आलौकिक अविस्मरणीय पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव हो । आप ने कहा कि जिस तरह राम भगवान रामजी 14 वर्ष बाद पुनः अयोध्या लौट आए थे आपको तो 14 का ठीक उल्टा कर दिया जाए तो 41 हो जाते हैं आप को तो 41 वर्ष पूर्ण हो गए राजस्थान छोड़े हुए अब आप राजस्थान पधारें । संपूर्ण राजस्थान के लोग पलक पावडे बिछा कर गुरुदेव के आने का इंतजार कर रहे हैं लगता है वह शुभ घड़ी अब आने वाली है गुरुदेव का यदि इस और मंगल विहार होता है तो यह संपूर्ण राजस्थान की मिट्टी के लिए बहुत बड़े गौरव की बात है ।इससे पूर्व अशोक जी पाटनी की धर्मपत्नी श्रीमती सुशीला देवी पाटनी ने भी अपनी कविता के माध्यम से गुरुदेव को राजस्थान की ओर मंगल विहार के लिए निवेदन किया।* *अब फर्ज बनता है की श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन तपोदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र,बिजोलिया में परम पूज्य 108 मुनि पुंगव सुधासागर जी महाराज संसंघ विराजमान है उनके पावन निर्देशन में संपूर्ण राजस्थान के श्रद्धालु रूपरेखा तैयार करें और अपनी पूरी शक्ति लगा दे यही अवसर है गुरुदेव को राजस्थान की ओर विहार करवाने का । ** *यदि हम सबका प्रबल पुण्य उदय होगा तो गुरुदेव का राजस्थान की ओर मंगल विहार हो सकता है । हम सम्पूर्ण राजस्थान से इंदौर नगरी अधिक से अधिक संख्या में पधारें और यही भावना भाये*
*विनती हमारी करो स्वीकार*
*राजस्थान पधारो अबकी* *बार।*
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