*@पावापुरी (नालन्दा) :* राष्ट्रसंत गणाचार्य श्री विराग सागर जी महामुनिराज के परम शिष्य दिगम्बर जैन श्रमण परम्परा के भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महाराज ससंघ अपने 27 पिच्छी साधु-साध्वियों के साथ पदयात्रा कर मंगलवार को सुबह भगवान महावीर स्वामी की निर्वाण स्थली पावापुरी जी सिद्ध क्षेत्र पहुंचे।
जहां दिगम्बर जैन मंदिर प्रबंधन द्वारा आचार्य ससंघ का गाजे-बाजे के साथ भव्य स्वागत किया गया। वहीं जैन श्रद्धालुओं ने दिगम्बर जैन मंदिर में आचार्य विमर्श सागर जी महाराज का पाद प्रक्षालन , मंगल आरती कर भव्य अगवानी की।
संतों के भव्य मंगल प्रवेश पर श्रद्धालुओं के हाथ में लहराते पंचरंगा जैन ध्वज के बीच जय जय गुरुदेव और भगवान महावीर के जयघोष से वातावरण गुंजायमान हुआ।
बता दें कि जिनागम पंथ प्रभावना करते हुए पंचतीर्थ पदयात्रा कर रहे श्रमणाचार्य श्री ससंघ सम्मेद शिखर जी (झारखंड) से जैन तीर्थंकरों के कल्याणक स्थली सिद्ध क्षेत्र और तीर्थ क्षेत्र जैसे अनेक धर्म स्थानों की प्रभावना यात्रा कर पावापुरी पहुंचे। यहां समवशरण मंदिर , दिगम्बर जैन कोठी में मूलनायक महावीर स्वामी और निर्वाण स्थली जलमन्दिर में प्रभु महावीर स्वामी के अतिप्राचीन चरण पादुका में समक्ष दर्शन - ध्यान कर प्रभु का स्मरण किया।
जैन आचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महाराज ने कहा कि अंतिम 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की निर्वाण स्थली पावापुरी की पावन धरा कण-कण पवित्र है। यहीं से महावीर स्वामी ने पूरी दुनियां को अंतिम उपदेश दिया था और उनका अंतिम समोशरण भी यहीं लगा था। उनके प्रथम गणधर श्री गौतम स्वामी की कैवल्य ज्ञान भूमि भी पावापुरी ही है। यहां आकर जो भी प्राणी अपना मस्तक नमन करता है उसका जीवन अवश्य धन्य हो जाता है। जलमन्दिर में ध्यान - साधना कर असीम शांति की अनुभूति होती है। पावापुरी का अद्भुत आकर्षक जलमन्दिर विश्वशांति का प्रतीक है। जो भी श्रद्धालु यहां आये उनको सत्य-अहिंसा-शांति का संदेश अपने साथ जरूर ले जाना चाहिए।
इसके बाद आचार्य ससंघ शाम में जैन तीर्थ कुंडलपुर राजगीर के लिए प्रस्थान कर गये। पंचतीर्थ यात्रा के पश्चात गया जी , बनारस की ओर मंगल विहार करेंगे।
प्रवीण जैन पटना से प्राप्त जानकारी
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी