व्यसन न पनपे इसकी जिम्मेदारी समाज की, प्लास्टिक से परहेज: आचार्य

सागवाड़-आचार्य सुनील सागर जी महाराज ने कहा कि श्रीराम, कृष्ण, महावीर और बुद्ध भारतीय संस्कृति के स्तंभ है जो हमेशा प्रासंगिक हैं। समाज में व्यसन न पनपे इसकी जिम्मेदारी समाज की है। देश की तरक्की के लिए जो योगदान कर सकें वो जरूर करें। प्लास्टिक मुक्त और पर्यावरण संरक्षण में भागीदार बनें। आचार्य महाराज शनिवार को गायत्री शक्तिपीठ के पास स्थित नेमीनाथ नगर में 18 हजार दशा हुमड़ जैन समाज की दूसरी नव निर्वाचित कार्यकारिणी के शपथ ग्रहण समारोह को संबोधित किया।
आचार्य ने कहा कि भगवान महावीर ने रात के समय भोजन का त्याग किया था पर आप लोग रात को भोजन कर रहे है। रात्रि भोजन का त्याग करने का नियम पालन करेंगे तो शेष समाज भी इसका अनुसरण करने लगेंगे क्योंकि अच्छे काम का सभी अनुसरण करते हैं। युवा सभा, महिला सभा, खेल महासभा के साथ एक ब्रह्मचारी सभा भी होनी चाहिए जो साधु संतों की सेवा में हमेशा आगे आती रहे। आचार्य ने धर्म, संस्कृति और संस्कारों को देखते हुए कहा कि वागड़ अपने आप में वृंदावन है। आचार्य ने जैन समाज की उदारता और परिश्रम के बारे में बताते हुए कहा कि जैन समाज दया, प्रेम और आपसी मेलजोल की प्रेरणा देते हुए छत्तीस कौम को साथ लेकर विकास का पक्षधर है। आचार्य ने ेकहा कि पानी से नहाने वाला केवल लिबास बदलता है पर पसीने से नहाने वाला इतिहास बदलता है। जैन समाज के लोग दूध में शक्कर की तरह होते है। जिस गांव में जाते है मिठास घोलने का काम करते हैं और स्वयं उस समाज में घुलमिल जाते है। 
      संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी

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