मोबाइल इंटरनेट सोशल मीडिया से अपने बच्चों को दूर रखना हुआ बड़ा मुश्किल

 *पारस जैन "पार्श्वमणि"पत्रकार कोटा*
आज की युवा पीढ़ी मोबाइल इंटरनेट सोशल मीडिया का बहुत ज्यादा उपयोग कर रही हैं।
अभी हाल में नामचीन दैनिक न्यूज पेपर में समाचार छपा की  बच्चों के मोबाइल के बहुत ज्यादा उपयोग करने से उनकी  आखो में  भेंगापन एवम रोशनी कम हो गई यह बहुत विचारणीय चिंतनीय विषय है आज कल के बच्चों का दिमाग वैसे ही बहुत तेज है । जैसा कि विदित है सम्पूर्ण विश्व आज वैश्विक महामारी कोरोना की चपेट में चल रहा है । दिनक 22 मार्च  2020 को लॉक डॉउन हुआ था। विगत 90 दिनों से सभी स्कूल कॉलेज शिक्षण संस्थान बंद है। ऐसे समय मे मोबाइल और इंटरनेट के सिवाय कोई टाइम पास करने का साधन नही है। अब सोचने  विचारने वाली बात यह है कि हम उनको इनसे दूर कैसे रखे। आज  सबसे बड़ी विडम्बना तो यह है कि छोटे से माँ का दूध पीने वाले बच्चे के हाथों में भी मोबाइल देने पर वो रोता हुआ भी चुप हो जाते 
 है। छोटे छोटे बच्चे भी मोबाइल चलाने में माहिर हो गए है।मोबाइल और इंटरनेट का ज्यादा उपयोग उनके स्वर्णिम भविष्य के लिए भी बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। अब हम बड़ो को इस विषय पर बहुत गंभीरता से विचार करना पड़ेगा,इसके अतिरिक्त एक और बड़ा संकट  प्रतिदिन गहरा रहा है जो हमारे बच्चों को उम्र से पहले वयस्क व अपराधी बना रहा है यदि समय रहते हम नहीं चेते तो भयंकर परिणाम हो सकते हैं । बच्चों के अपराध के भी बहुत मामले बढ़ रहे है। बचपन मे  रोज रात को पहले दादा दादी  धार्मिक कथाये सुनाते थे ।सब साथ बैठकर खूब हँसी मज़ाक ओर जीवन का सच्चा सुखद आनंद बुजुर्गो के सानिध्य में लिया करते थे ।आज के समय मे बहुत कम ही ऐसे परिवार होंगे। जहाँ यह सब उपलब्ध होगा। बचपन मे दिए गए सद संस्कार पचपन की दहलीज पार करने के बाद भी जीवन मे बने रहते हैं ।आज के बच्चो में सहनशीलता का भी अभाव देखा जाता है।   लेकिन समय की बलिहारी है आज ज्यादातर परिवार एकाकी परिवार हो गए है हम दो हमारे दो की संस्कृति है।अब बहुत सोचनीय चिन्तनीय विषय हैं।

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