पंचायत में भ्रष्टाचार के खुले कारनामे के बाद भी नही हुई कार्यवाही



कोलारस -कोलारस विधानसभा अंतर्गत आने वाले ग्राम गिंदौरा के पूर्व सरपंच के भ्रष्टाचार के कारनामे जगजाहिर हो जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नही हुई है,और अब तो वर्तमान सरपंच के फर्जी हस्ताक्षर तक वह खुले में करके नियमो को ताक पर रख चुका है पर कोई कार्यवाही आज तक नही हुई है।
गिंदौरा ग्राम के पूर्व सरपंच युधिष्टिर सिंह रघुवंशी ने अपने सरपंचीय कार्यकाल में जमकर चांदी काटी,शासन के धन का जमकर दुरुप्रयोग किया,एक ही मार्ग के नाम परिवर्तित कर करके अग्रिम राशि आहरण कर लिया और कोई कार्य नही कराया गया,जिसकी की जांच हो जाने के बाद सब कुछ साफ हो गया है परंतु कोई कार्यवाही नही होना,सरपंच की ताकत का एहसास कराने के साथ लचर प्रणाली की पोल भी खोलती है।
मनमर्जी का आलम ये है कि वर्तमान सरपंच मोहब्बत सिंह आदिवासी की प्राथमिक शाला भवन से हनुमान मंदिर तक कि दो लाख अड़शठ हजार रुपये की राशि के गबन के मामले की फर्जी तरीके से जिला पंचायत शिवपुरी में चल रही धारा 92 की कार्यवाही में पेशी के  समय युधिष्ठिर सिंह  रघुवंशी ने   मोहब्बत सिंह के हस्ताक्षर कर कार्यपालिका को चुनौती प्रस्तुत कर दी।हस्ताक्षरों के मिलान से सब कुछ सामने सिद्ध हो जाएगा,लेकिन बाबू को दान दक्षिणा भेंट कर मामले को दबाने की भरसक कोशिश की जा रही है। जांच पड़ताल में जितेंद्र रघुवंशी की शिकायत पर इस मामले का सच सामने निकलकर आया है।यानी पूर्व सरपंच आज भी सरपंची कर रहा है,वर्तमान सरपंच तो रबर स्टाम्प मात्र है,जिसे हस्ताक्षर का भी अधिकार नही है।वर्तमान सरपंच के नाम से हस्ताक्षर तक पूर्व सरपंच कर रहा है।
इसी तरह युधिष्ठिर रघुवंशी के सरपंचीय कार्यकाल की जांच समिति भी गठित की गई परन्तु आज दिनांक तक मामले में जांच रिपोर्ट जांच समिति नही दे पाई है।कई गंभीर मामले पूर्व सरपंच पर चल रहे है,जिसमे दोष सिद्ध हो गया है परंतु कोई कार्यवाही न होना सरपंच के साथ ऊपरी स्तर पर मिलीभगत को सिद्ध करती है।
पहले भी जांच समिति बनाई गई जिसकी जांच का कुछ नही हुआ एक बार फिर इतने गंभीर मामले जिसने ग्राम स्वराज्य को धता सिद्ध कर दिया है कि जांच समिति नए सिरे से घोषित की गयी है।लेकिन एक सरपंच के कार्यकाल को पूरा हो जाने के बाद दूसरे सरपंच का कार्यकाल भी पूरा होने का आया पर जांच समिति बनाने के अलावा शासन स्तर पर कोई कार्यवाही न हो पाना क्या भ्रष्टाचार को खुली छूट देना नही है,या भ्रष्टाचार के मामलों में गंभीरता न बरतना नही है।
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