बता दें शिक्षक ने 2008 में संविदा शाला शिक्षक श्रेणी -2 की पात्रता परीक्षा पास की और बलबीर सिंह तोमर ने 13 अगस्त 2009 को जिला पंचायत श्योपुर के आदेश से श्योपुर जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय टर्राकला में वर्ग 2 के शिक्षक बनकर अपनी पहली न्युक्ति ली। जिसके बाद बलबीर सिंह तोमर को टर्राकला के प्राचार्य ने बाबू के कार्य की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे दी गई। जिम्मेदारी मिलते ही बलबीर सिंह तोमर ने अतिथि शिक्षको का मानदेय पीटीए खाते में जमा ना करते हुए नगद दिया और जिसके बदले तीन हजार से पांच हजार रूपए काटे गए और व्हाउचर पर पूरी राशि प्राप्ति के हस्ताक्षर कराए गए।
मामला यही नहीं रुका शिक्षकों की ई सेवा पुस्तिका फीडिंग करने, परिचय पत्र बनाने एवं अचल संपत्ति के फार्म भरने के बदले शिक्षकों से सो से दो सो रुपए वसूल किए,इसकी प्रकार शिक्षकों के विलियन संबंधी फार्म तैयार करने के प्रति शिक्षकों से दो दो हजार रुपए किए ओर ना देने वाले शिक्षकों के फार्म अधूरे तैयार किए जिससे कई शिक्षक संविलियन से वंचित रह गए। जिसकी शिकायत शिक्षकों और अतिथि शिक्षको द्वारा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्योपुर से की इसके बाद मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्योपुर ने आर.एस.सोलंकी अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) विजयपुर को इस पूरे मामले की में जांच अधिकारी नियुक्त किया और विंदुबार जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा।
जांच में इन सभी आरोपों में बलवीर सिंह तोमर को दोषी पाया गया। अवैध वसूली के आरोप सिद्ध होने पर 27 दिसंबर 2010 को उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं। इसके बाद चालाकी कर शिक्षक ने मात्र 22 दिन बाद जिला बदलकर पडोसी जिला शिवपुरी में अपनी पूर्व बर्खास्तगी का उल्लेख किए बिना चालाकी पूर्वक उसी अंकसूची से 18 जनवरी 2011 को शिवपुरी जिले के पोहरी विकासखंड में फिर से नियुक्ति प्राप्त कर ली। जिसकी खबर समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित किये जा रहे लेकिन पूर्व डीईओ समर सिंह राठौर की सांठगाठ कर चालक शिक्षक 14 साल से अपनी नोकरी करता रहा।
पत्रकार इल्यास काजी की शिकायत पर तत्कालीन एसडीएम मोतीलाल अहिरवार द्वारा की गई। जांच में यह बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। एसडीएम ने अपने प्रतिवेदन में न केवल बर्खास्तगी की अनुशंसा की थी, बल्कि दंडात्मक कार्रवाई के लिए प्रतिवेदन भेजा उस प्रतिवेदन पर शिवपुरी कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने जांच में दोषी पाए जाने पर संकुल पोहरी के जेएसके शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ सीएसी बलवीर सिंह तोमर को सेवा से बर्खास्त कर दिया है।
प्रशासनिक हलकों में मचा हड़कंप
इस कार्रवाई के बाद पोहरी ही नहीं शिवपुरी जिले में शिक्षा से लेकर सभी विभागों में हड़कंप मच गया है। अब सभी विभाग के अधिकारी और कर्मचारी अब विभागीय रिकार्ड्स खंगालने में जुट गए है। ताकि येसे फर्जी न्युक्तियों का पता लगाया जा सके। जिससे फर्जी तरीके से कर रहे नोकरी कर रहे शासकीय शिक्षकों पर कार्यवाही हो सके।
एक संविदा परीक्षा पर दो नियुक्ति
मध्यप्रदेश संविदा शाला शिक्षक श्रेणी -2 पात्रता परीक्षा 2008 में रोल नंबर 422000743 पास की जिसमें 200 में से 142 अंक प्राप्त किए जिसके परिणाम की घोषणा 14 जनवरी 2009 को हुई और अंकसूची 24 फरवरी 2009 को इशू हुई। 13 अगस्त 2009 को जिला पंचायत श्योपुर के आदेश क्रमांक 2009/10810 से पहली नियुक्ति ली और अपने 16 माह के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के चलते जिला पंचायत सी ई ओ ने सेवा समाप्त कर दी।
जिसके बाद उसी 2009 की संविदा पात्रता परीक्षा की अंकसूची से ही 18 जनवरी 2011 को जिला पंचायत शिवपुरी के आदेश से शा.मा.वि. भदरोनी तहसील पोहरी में सेवा देना शुरू कर दी। शिकायत पर शिवपुरी कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने जांच में दोषी पाए जाने पर पोहरी संकुल में पदस्थ सीएसी बलवीर सिंह तोमर को सेवा से बर्खास्त कर दिया है।
इनका कहना है -
जनशिक्षक बलबीर तोमर की जांच विकासखंड स्तर से जिला पंचायत सीईओ सहित कलेक्टर के पास पहुंची, कलेक्टर ने अपने जांच कर शिक्षक बलबीर सिंह तोमर को बर्खास्त कर सेवा समाप्त कर दी हैं।
दफेदार सिकरबार, डीपीसी शिवपुरी
