बावनगजा-सिद्ध क्षेत्र बावनगजा में 84 मंडलीय सिद्ध चक्र महामंडल विधान चल रहा है। यहां पर भगवान की शांतिधारा और अभिषेक चांदी के कलशों से किया जा रहा है। ट्रस्टी आईसी जैन ने बताया कि
रोजाना भगवान का अभिषेक कर विधान किया जा रहा है। विधान करने वाले भक्त रोज सुबह 5.30 बजे से विधान आदि क्रियाओ मे सलग्न हो जाते है, जो दोपहर तक चलता है। ये भव्य आयोजन मुनिश्री प्रमाण सागर जी और विराट सागर महाराज के सान्निध्य में किया जा रहा है। रोजाना अलग-अलग स्थानों से एक से डेढ़ हजार लोग कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं।
माँ की इच्छा को पूरा करने के लिये एक बेटा सिंगापुर से आया
सिद्धक्षेत्र बावनगजा में चल रहे 84 मंडलीय सिद्ध चक्र महामंडल विधान में एक बेटा अपनी मां की इच्छा पूरी करने के लिए सिंगापुर से आया और पत्नी सहित परिवार के साथ मंडल विधान कर रहा है। हम बात कर रहे हैं झांसी के मूल निवासी अनुपम जैन की, जो सिंगापुर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। अनुपम जैन ने बताया कि बावनगजा में होने वाले सिद्ध चक्र महामंडल विधान की जानकारी मां ने फोन पर दी थी और कहां था वह बेटा और बहू के साथ विधान करना चाहती है। एक बार विधान करने की मेरी भी इच्छा थी लेकिन अभी नहीं थी। मां के कहने पर विधान करने सिंगापुर से चला आया। अब एहसास हो रहा है कि परिवार के साथ विधान करने का आनंद अलग होता है। शायद इसलिए ही मां ने आने के लिए ज्यादा जोर दिया। उन्होंने बताया जैन धर्म की परंपरा का पालन सिंगापुर में भी करते हैं। वहां भी समाज के बहुत से लोग रहते हैं। देश के जिस भी सिद्धक्षेत्र में विधान होता है, उसका लाइव प्रसारण देखकर सिंगापुर में भी सभी मिलकर करते हैं। सिंगापुर में भी जैन धर्म से जुड़े कई मंदिर हैं।
अमेरिका से भी आया परिवार
बावनगजा में चल रहे विधान में शामिल होने के लिए अमेरिका से भी एक परिवार आया है। मूल निवास चिरमिरी के आकाश अमेरिका के न्यूयार्क में रहकर नौकरी करते हैं, जो अपने परिवार के 35 से ज्यादा सदस्यों के साथ मंडल विधान कर रहे हैं।
रोजाना भगवान का अभिषेक कर विधान किया जा रहा है। विधान करने वाले भक्त रोज सुबह 5.30 बजे से विधान आदि क्रियाओ मे सलग्न हो जाते है, जो दोपहर तक चलता है। ये भव्य आयोजन मुनिश्री प्रमाण सागर जी और विराट सागर महाराज के सान्निध्य में किया जा रहा है। रोजाना अलग-अलग स्थानों से एक से डेढ़ हजार लोग कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं।
माँ की इच्छा को पूरा करने के लिये एक बेटा सिंगापुर से आया
सिद्धक्षेत्र बावनगजा में चल रहे 84 मंडलीय सिद्ध चक्र महामंडल विधान में एक बेटा अपनी मां की इच्छा पूरी करने के लिए सिंगापुर से आया और पत्नी सहित परिवार के साथ मंडल विधान कर रहा है। हम बात कर रहे हैं झांसी के मूल निवासी अनुपम जैन की, जो सिंगापुर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। अनुपम जैन ने बताया कि बावनगजा में होने वाले सिद्ध चक्र महामंडल विधान की जानकारी मां ने फोन पर दी थी और कहां था वह बेटा और बहू के साथ विधान करना चाहती है। एक बार विधान करने की मेरी भी इच्छा थी लेकिन अभी नहीं थी। मां के कहने पर विधान करने सिंगापुर से चला आया। अब एहसास हो रहा है कि परिवार के साथ विधान करने का आनंद अलग होता है। शायद इसलिए ही मां ने आने के लिए ज्यादा जोर दिया। उन्होंने बताया जैन धर्म की परंपरा का पालन सिंगापुर में भी करते हैं। वहां भी समाज के बहुत से लोग रहते हैं। देश के जिस भी सिद्धक्षेत्र में विधान होता है, उसका लाइव प्रसारण देखकर सिंगापुर में भी सभी मिलकर करते हैं। सिंगापुर में भी जैन धर्म से जुड़े कई मंदिर हैं।
अमेरिका से भी आया परिवार
बावनगजा में चल रहे विधान में शामिल होने के लिए अमेरिका से भी एक परिवार आया है। मूल निवास चिरमिरी के आकाश अमेरिका के न्यूयार्क में रहकर नौकरी करते हैं, जो अपने परिवार के 35 से ज्यादा सदस्यों के साथ मंडल विधान कर रहे हैं।
प्रवचन : मुनिश्री बोले- जीवन के चार चक्र हैं
मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज ने बताया जीवन के 4 चक्र है। धर्म चक्र, कर्म चक्र, काल चक्र और सिद्ध चक्र और इनमें हर प्राणी फंसा हुआ है। संत कहते हैं काल चक्र से बचना चाहते हो तो कर्म चक्र को उखाड़ो, कर्म चक्र को उखाड़ना है तो धर्म चक्र को धारो और धर्म चक्र को धारो तो सिद्ध चक्र में पधारो। ये संसार का चक्र आज का नहीं है अनादिकाल से है। जिसकी श्रद्धा का उपादेय हो गया, उसे सिद्ध चक्र में जाने से कोई नहीं रोक सकता।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज ने बताया जीवन के 4 चक्र है। धर्म चक्र, कर्म चक्र, काल चक्र और सिद्ध चक्र और इनमें हर प्राणी फंसा हुआ है। संत कहते हैं काल चक्र से बचना चाहते हो तो कर्म चक्र को उखाड़ो, कर्म चक्र को उखाड़ना है तो धर्म चक्र को धारो और धर्म चक्र को धारो तो सिद्ध चक्र में पधारो। ये संसार का चक्र आज का नहीं है अनादिकाल से है। जिसकी श्रद्धा का उपादेय हो गया, उसे सिद्ध चक्र में जाने से कोई नहीं रोक सकता।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

