घाटोल-कस्बे में वासुपूज्य जैन मंदिर प्रांगण में सिद्धचक्र महामंडल विधान के अंतर्गत दूसरे दिन मंगलवार को मुनि श्री समता सागरजी महाराज ने कहा कि कोई पुण्य आत्मा अपने भावों की पवित्रता से कोई भावना करता है तो उसकी भावना कभी व्यर्थ नहीं जाती है। उन भावनाओं के बीजों का अंकुरण अवश्य होता है और उनका फल उन्हें निश्चित समय पर पवित्र भाव से मिलता है। धर्मसभा में आचार्य सुनील सागरजी महाराज संघ के मुनि सुधीर सागर जी महाराज ने कहा कि समर्पण के भाव में किंतु परंतु नहीं होता है। हम जब स्वयं को गुरु एवं धर्म के प्रति समर्पित कर देते हैं तो वहां कोई संशय नहीं रहता। गुरु और धर्म के प्रति सिर्फ आस्था और विश्वास होता है कि जो वह है वही सत्य है, वहीं विधान के अंतर्गत प्रातः नित्य नियम पूजा अभिषेक एवं शांतिधारा की गई। साथ ही आचार्य विद्या सागरजी महाराज की तस्वीर का अनावरण एवं दीप प्रज्ज्वलन किया गया। तत्पश्चात ब्रह्मचारी विजय भैया, सोनू भैया, चंदन भैया एवं राजेश भैया के सान्निध्य में सिद्धचक्र महामंडल विधान के पूजा कि गई एवं र्सोधर्म इंद्र, कुबेर इंद्र, महेंद्र इंद्र, भरत चक्रवर्ती, बाहुबली, यज्ञ नायक, महायज्ञ नायक, सनत कुमार इंद्र के परिवार के द्वारा अर्घ्य समर्पित किए गए।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

