घाटोल -मंगलवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री समता सागरजी महाराज ने कहा कि आहार शुद्धि, विचार शुद्धि, व्यवहार शुद्धि और व्यापार शुद्धि इन चार शुद्धि का आना ही वर्षा योग का प्रयोजन है।
महाराज ने कहा कि आहार पर ध्यान देने से विचार बनते हैं और शब्दों पर ध्यान देने से वह हमारा व्यवहार बनता है। व्यवहार पर ध्यान देने से आदत बनती है। आदत पर ध्यान देने से जीवन का अंग बन जाती है। ऐलक श्री निश्चय सागरजी महाराज ने कहा कि अशुद्ध और अभक्ष्य भोजन किसी भी दृष्टि से ग्रहण करने योग्य नहीं है। राजसिक और तामसिक भोजन व्यसन और बुराईयों की ओर ले जाता है। सात्विक भोजन जीवन साधना में सहायक है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
महाराज ने कहा कि आहार पर ध्यान देने से विचार बनते हैं और शब्दों पर ध्यान देने से वह हमारा व्यवहार बनता है। व्यवहार पर ध्यान देने से आदत बनती है। आदत पर ध्यान देने से जीवन का अंग बन जाती है। ऐलक श्री निश्चय सागरजी महाराज ने कहा कि अशुद्ध और अभक्ष्य भोजन किसी भी दृष्टि से ग्रहण करने योग्य नहीं है। राजसिक और तामसिक भोजन व्यसन और बुराईयों की ओर ले जाता है। सात्विक भोजन जीवन साधना में सहायक है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी