बीना -जब तक व्यक्ति के जीवन में मानवता नही तब तक उसका जीवन सफल नही हो सकता। हम कितने बहु बड़े बड़े कार्य क्यो न कर ले यदि हमारा आचरण व व्यवहार सही नही, हमारे अंदर मानवता नही तो सब कुछ बेकार है। यह उदगार इटावा जैन मंदिर मे मुनि श्री अचल सागर जी महाराज ने धर्मसभा कहे।
उन्होंने कहा न्याय नीति पूर्वक जो धन संचय करता है उसे ही अपार सुख शान्ती की प्राप्ति होती है। जो संतोषी व्यक्ति होता है वह हमेशा खुश रहता है जो व्यक्ति अपने से गरीब को देखता है वह प्रसन्नचित रहता है लोभ तो पाप का एक बाप होता है। व्यक्ति धर्म क्षेत्र में तो अपने से कम धर्म करने वाले की और देखता है परंतु सांसरिक कार्यों मे इसके विपरीत आचरण करता है यह ठीक नही।
गीता के अनुसार जो जैसा कर्म करता है वैसा फल प्राप्त करता है। व्यक्ति को हमेशा अच्छे कार्य करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा सांसरिक प्राणी को भी भरण पोषण के लिए अनेक कार्य करने पड़ते है। ऐसे कार्य करो जिसमे कम हिंसा हो।
मार्मिक उदगार प्रकट करते हुए कहा चमड़े की वस्तुओं विक्रय, सौंदर्य प्रसाधन, कीटनाशक दवाइयों का विक्रय कदापि न करे। सच्चे देव शास्त्र गुरु की आराधना करें। धर्म का मूल स्वरूप जाने। आगम में जो लिपिबद्ध किया गया उसके अनुसार ही आचरण करे।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी