बांसवाड-मोहन कॉलोनी में स्थित भगवान आदिनाथ मंदिर में आचार्य पुलक सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन के माध्यम से बताया कि सप्ताह में एक बार रविवार आता है। जिसका मतलब छुट्टी का दिन है। घर में रहने का दिन है। परिवार निर्माण का दिन है। इस संयुक्त रूप से सभी के साथ आनंद लेने का दिन है। सोमवार से रविवार तक 1 सप्ताह के सात वार हैं। आदमी के सातों बार सार्थक हो सकते हैं। अगर वह संयुक्त परिवार के साथ रहता है। आचार्य जी ने कहा कि परिवार में माता-पिता, पति पत्नी, बच्चे, दादा-दादी सब यदि एक साथ रहते हैं इसे समझना और अलग-अलग हैं तो आपके परिवार को संयुक्त रखना आपका पहला कर्तव्य है। जब दुनिया में हमारे साथ कोई नहीं था तो हमारा परिवार हमारे साथ साथ होता है। आचार्य जी ने कहा कि किसी घर में चार लोग साथ रहते हैं तो वह चौधरी हो जाते हैं, 5 लोग साथ रहते हैं तो पंच बन जाते हैं, चार भाई किस्मत बिगड़ जाए तो तीन उसे साथ जरूर देंगे, आचार्य जी ने कहा कि जब संयुक्त परिवार हुआ करता था तब लोगों के जीवन में बड़ा आनंद था। संयुक्त परिवार ने जिस घर में आठ-दस लोग रहा करते थे, उन घरों में कभी ताले नहीं लगा करते थे। उन घरों में चोर नहीं आया करते थे। चोर भी सोचता था कि कहीं कोई न कोई तो जग रहा होगा। मुंबई जैसे शहर में भी चार भाई अलग-अलग रहते हैं। चार भाई किराए पर रहेंगे तो हर किसी को अलग अलग 5000 हजार किराया देना होगा और चारों भाइयों का 20 हजार खर्च होंगे। लेकिन चारों भाई साथ रहोगे तो 10 हजार में भी काम चल जाएगा। आचार्य जी ने कहा कि आज मकान हमारे पास-पास हैं, लेकिन मन दूर दूर हो गए हैं। एक बार ध्यान रखना समाज का अध्यक्ष बनकर समाज चलाना आसान है। प्रधानमंत्री बनकर देश चलाना फिर भी आसान है, लेकिन एक परिवार को चलाना आज बहुत कठिन हो गया है। आचार्य जी ने कहा कि संयुक्त परिवार मंदिर बन जाया करता है। साथ ही कोरोना वायरस को लेकर आचार्य जी ने कहा कि लोग अभी भी घरों से बाहर निकल रहे हैं। जिसमें सबसे ज्यादा मजदूर है जो अपने घरों को जाना चाहते हैं। लेकिन इस मुश्किल की घड़ी में सबको वहीं रहना चाहिए जहां अभी वह रह रहे हैं। क्योंकि जिंदगी को बड़ा खतरा है, इसलिए जीवन को बचाना जरूरी है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी