मर्यादा सिखाता है भगवान श्रीराम का जीवन चरित्र : आचार्य सुनील सागरजी

प्रतिष्ठा महा महोत्सव में तीर्थंकर भगवान का जन्म कल्याणक मनाया
पालोदा -कस्बे में स्थित दिगंबर जैन मंदिर में आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज ससंघ की निश्रा में एवं पंडित महावीर गिंगला के निर्देशन में आयोजित हो रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महा महोत्सव में बुधवार को तीर्थंकर भगवान का जन्म कल्याणक मनाया गया। 
इस पावन अवसर पर प्रवचन देते हुए आचार्य श्री सुनील सागरजी महाराज ने कहा कि जब धरती पर पाप बढ़ता है तब भगवान जिनेन्द्र का जन्म होता है। उन्होने कहा कि जन्म ऐसा लीजिए की जग निहाल हो जाए और काम ऐसा कीजिए की कमाल हो जाए। हमारा सौभाग्य है कि आज रामनवमी का शुभ दिन है। भगवान राम और तीर्थंकर आदिनाथ दोनों महापुरुषो का जन्म अयोध्या में हुआ। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जब जन्म हुआ तो जो गायें दूध नहीं देती थी वो दूध देने लग गई। पेड़ों पर फल आ गए चारों ओर समृद्धि एवं शांति छा गई। उन्होंने आगे कहा कि भगवान राम का जीवन आदर्श है उनके जीवन से हमें मर्यादा सीखनी चाहिए। कुछ लोग दुनिया में खाने के लिए आते है, कुछ लोग केवल कमाने के लिए आते हैं, कुछ लोग संख्या बढ़ाने के लिए आते हैं, बहुत कम बिरले लोग होते हैं जो भवसागर से पार होने के लिए आते हैं। पूरे देश में रामनवमी से महावीर जयंती तक पूरे हर्षोल्लास से मनाना चाहिए। दोनों महापुरुषों ने अहिंसा, मर्यादा, शाकाहार और संस्कारों की अलख जगाई। शबरी को तारने वाले श्रीराम हुए तो सती चंदना को भगवान महावीर ने तारकर स्त्री समाज का मान बढ़ाया। महापुरुषों के आदर्शो को आत्मसात कर तीर्थंकर भगवान का जन्म कल्याणक पूर्ण श्रद्धा एवं भक्ति भाव के साथ मनाएं एवं मानव जन्म को सार्थक बनाए। 
प्रवक्ता जिनेन्द्र जैन ने बताया कि इससे पूर्व मंगलाचरण आर्यिका 105 सुस्वर मति माताजी ने किया। 
                 संकलन अभिषेक् जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

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