पालोदा -कस्बे में स्थानीय दिगंबर जैन समाज के तत्वावधान में एवं चतुर्थ पट्टाचार्य सुनील सागरजी महाराज ससंघ की निश्रा में एवं प्रतिष्ठाचार्य महावीर जैन गिंगला के निर्देशन में आयोजित हो रहे भव्य पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं गुरु मंदिर प्रतिष्ठा महा महोत्सव में शुक्रवार को केवल ज्ञान कल्याणक मनाया गया। इस अवसर पर आचार्य श्री सुनील सागरजी महाराज ने कहा कि इक्षु रस का किया पारणा जय-जय आदिनाथ भगवान। आज महामुनिराज आदिनाथ जिनका दीक्षा कल्याणक हमने मनाया, ने कठोर तप कर केवल ज्ञान को प्राप्त किया। आज दिगंबर मुद्राधारी भगवान महामुनिराज जिनके साथ हजारों राजा महाराजाओं ने दीक्षा ग्रहण की ओर ध्यान में विराज गए। राजाओं ने सोचा की जैसा हमेशा चलता रहा है वैसा ही अब भी होगा। तीन-चार दिनों में ही राजाओं को भूख की वेदना सताने लगी और भोजन का विकल्प तलाशने लगे। भगवान आदिनाथ तो ध्यान में लीन थे। राजाओं से भूख सहन नहीं हुई त्राहिमाम हो गया। विनती करने लगे की हमें रास्ता बताओ। लेकिन आदिनाथ एक आसन में कठोर तप करते रहे। फिर ध्यान विसर्जित कर मुनिराज आहार को निकले कहा तो प्रयाग इलाहाबाद में प्रभु ने दीक्षा ग्रहण की और विहार करते करते छ: माह बीत गए आहार की विधि निमित्त नहीं मिल रहा। पग पग विहार करते हस्तिनापुर तक पहुंच गए। वहां राजा श्रेयांस राज्य करता था। पूर्व भव के कर्म निमित्त आदिनाथ का प्रथम आहार राजा श्रेयांस के आंगन में हुआ। इक्षु रस का पारणा कराया। और धर्म तीर्थ से भी पहले दान तीर्थ का प्रवर्तन हुआ। इसलिए आहार दान का बडा महत्व है। अपने कर्मो का फल स्वयं को भोगना ही पड़ता है। प्रवक्ता जिनेन्द्र जैन ने बताया कि इससे पूर्व मंगलाचरण संघस्थ सुस्वर मति माताजी ने किया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी