हिना दीदी और सारिका दीदी 8 मार्च को नंदनवन धरियावद में लेंगी जैनेश्वरी दीक्षा



परतापुर -वागड़ की दो बेटियां बाल ब्रह्मचारिणी हिना दीदी सुपुत्री पवन धीरावत गढ़ी और सारिका दीदी सुपुत्री महिपाल शाह अरथूना वैराग्य पथ पर अग्रसर हो चुकी हैं। दोनों दीदियां 8 मार्च को सांसारिक मोह माया त्यागकर नंदनवन धरियावद में आचार्य श्री वर्धमान सागर जी  महाराज की परम शिष्या आर्यिका सुपार्श्वमती माताजी से शिक्षित और परम पूज्या विदुषी आर्यिका रत्न प्रशांतमती माताजी से जैनेश्वरी दीक्षा लेंगी।
दीक्षा से पहले दोनों दीदियों के धर्म नगरी गढ़ी पहुंचने पर समाज अध्यक्ष व संमाजजनों व महिला मंडल और परिवारजनों की ओर से मुकुट पहनाकर, माल्यार्पण, पुष्पवृष्टि कर सोमवार को स्वागत किया गया। दोनों दीक्षार्थी बहनों को खुली जीप में बैठा कर शोभायात्रा निकालली जो जूना मंदिर, नया मंदिर होते हुए हीना दीदी के घर पहुंचकर धर्म सभा में परिवर्तित हो गया इसमें
हिना दीदी व सारिका दीदी ने अपने उदबोधन में कहा कि सांसारिक मोह माया को त्याग कर अपने जीवन का कल्याण करना ही मनुष्य का लक्ष्य होना चाहिए। इसी पथ को अंगीकार कर हमने जैनेश्वरी दीक्षा ग्रहण करने का निर्णय लिया है। मां फुलकुंवर धीरावत के कोख से जन्मी दो भाई रौनक व चिराग की बहिन हिना ने संस्कृत विषय में स्नातकोत्तर तक शिक्षा ग्रहण की। आचार्य सुकुमाल नंदी जी  महाराज व मुनि ्रपुण्य नंदी जी महाराज से मोर गांव में आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार किया। मां शीला शाह के गर्भ से जन्मी, चार बहनों अनिता, सुनीता, शीतल, पूजा, भाई प्रीतेश की बहन सारिका ने संस्कृत विषय में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।
सारिका दीदी ने आचार्य गुरुवर 108 श्री विद्यासागर जी महाराज से नेमावर में आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार किया है।
     संकलित अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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