आर्यिका विभाश्री माताजी के रजत दीक्षा महोत्सव के समापन पर किया विराग विभाश्री बालिका छात्रावास का लोकार्पण




कोटा-आर्यिका विभाश्री माताजी रजत दीक्षा महोत्सव समिति की ओर से विराग विभाश्री बालिका छात्रावास लोकार्पण समारोह व रजत दीक्षा महोत्सव मंगलवार को बूंदी रोड स्थित रिद्धि-सिद्धि नगर में किया गया। आर्यिका विभाश्री माताजी की दीक्षा को 25 वर्ष पूर्ण होने पर रजत दीक्षा जयंती महोत्सव राष्ट्रीय स्तर पर मनाया गया।
समारोह का शुभारंभ अभिषेक और शांतिधारा के साथ हुआ। वहीं विराग विभाश्री बालिका छात्रावास का लोकार्पण देवेन्द्र-शंकुतला पांड्या ने किया। बालिका छात्रावास से गार्डन तक शोभायात्रा निकाली गई। इसमें बैंड-बाजों सहित लवाजमा, हाथी, घोड़े, ऊंट, बैल आदि शामिल रहे। जगह-जगह स्वागत द्वार सजाए गए। जहां अगवानी की गई। इस दौरान महिला मंडलों ने सिर पर मंगल कलश धारण कर अगवानी की। शोभायात्रा में चन्द्रप्रभु भगवान, आचार्य विद्यासागर,जी विराग सागर, जीनिर्मल सागरजी, विभाश्री माताजी के जयकारे लगाए। इसके बाद ध्वजारोहण, व मंडप उद्घाटन किया।  साथ ही 1008 दीपकों से महाआरती की।
समारोह में सकल दिगंबर जैन समाज की ओर से माताजी को रत्नात्रय आराधिका अलंकरण से विभूषित किया। विभाश्री माताजी के नाम पर जारी डाक टिकट का विमोचन भी किया गया।
दूसरों का दुख दूर करने वाला ही सच्चा श्रावक: आर्यिका विभाश्री
इस दौरान आर्यिका विभाश्री माताजी  ने कहा कि जो दूसरों का दुख दूर करता है, वो ही सच्चा श्रावक है। ईश्वर ने सर्वश्रेष्ठ रचना के रूप मानव को बनाया है। इस सृष्टि की रचना ईश्वर ने की है, लेकिन इंसान के अहंकार, लोभ, क्रोध और मोहमाया की रचना इंसान ने की है। इंसान को समझना, विचार करना चाहिए कि समस्याएं कभी खत्म नहीं हो सकती हैं और ना ही संघर्ष। अगर इस सृष्टि में समस्या है तो उसका समाधान भी निश्चित है। सुबह, शाम परेशानियों का दुखड़ा गाकर ईश्वर को कोसने लग जाते है, जबकि इंसान जितना समय दुखड़ा रोने में लगाते हैं।
     संकलन अभिषेक जैन  लुहाड़ीया रामगंजमंडी

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.