पापो का बंध मंदिरों के कपाट बंद

✍ पारस जैन " पार्श्वमणि" पत्रकार कोटा-भारतवर्ष की पावन वसुंधरा को अनेकानेक दिव्य महापुरुषों ऋषि-मुनियों त्यागी तपस्यो ने अपनी कठिन साधना करके इसकी मिट्टी को पवित्र बनाया है । यहां के महापुरुषों ने कंकर से शंकर नर से नारायण बनने का रास्ता हमें दिखाया है इस भारत वसुंधरा पर आज न जाने कितने क़त्ल खानों में मूक निरीह  जीवो प्राणियों की हत्या प्रतिदिन की जाती है। चीन के वुहान शहर में 112 प्रकार के मूक मासूम  जीवो जानवरों को खाया जाता है आज संपूर्ण विश्व में मांसाहार का व्यापार अपने किया जाता है ।आज जब उन मूक जीवो प्राणियों की करुण चीत्कार, पुकार  को  किसी ने नहीं सुनी तो प्रकृति व परमात्मा ने सुनी और जब प्रकृति परमात्मा ने सुनी तो विपत्ति के रूप में यह कोरोना वायरस आया है।  भगवान महावीर स्वामी के दिव्य संदेशो को लेकर के आया है ।यह कोरोना  करुणा का संदेश देकर हमें सतर्क कर रहा है ।सभी जीवों पर करुणा करो । आज जब एक छोटी सी सुई जब हमें चुभती है तो कितनी वेदना होती है सोचो उन की जीवो को जब काटा  जाता है तो कितनी असहनीय पीड़ा दर्द दुख उनको होता होगा । चीन के बुहान शहर में तो कई जीवो को ज़िंदा ही खाया  जाता है।आज ऐसी विकट स्थिति में हम संपूर्ण भारत को शाकाहारी घोषित करवा सकते हैं।  भारतीय रेलवे एयरलाइंस सेवाओं  में मात्र शाकाहारी भोजन यात्रियों के लिए बनना लागू हो जाये।  यही एक स्वर्णिम सुअवसर है जब हम अपनी आवाज को बुलंद कर सकते हैं।*
*हे प्रभु क्षमा करना। हमारे पाप कर्मो का तीव्र उदय है कि  आज आपके दरबार के कपाट बन्द हैं ! विगत सो वर्षों के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ होगा। यही अवसर है हम मन को मंदिर बनाये खूब धर्म ध्यान आत्म चिंतन  मंथन करे  महापुरुषों के जीवन चरित्र पड़े । जो जीवन को जीवंत बनाने में योगदान देगे। पीड़ित मानवता की सेवा भी करे।*
*श्रद्धालुओं यह निश्चित है कि हम सबने मिलकर कोई बहुत बड़ा तीव्र अन्तराय कर्म का बंध किया होगा जो आज प्रभु के दर्शन में सबका एक साथ अन्तराय हो गया है। ऐसा भी होगा, यह हमने कभी सपने में भी सोचा नहीं होगा। यही कर्मो का खेल है। यह उस एक इन्द्रिय जीव की ताकत है जिसने हम सबको हमारे घर में कैद कर दिया है।*

*बस एक ही विनती है कि जब यह आपदा ख़त्म हो जाए तो हम सबका मन उन मूक जीवों के लिए भी कोमल हो जाए जिनकी पुकार प्रकृति ओर परमात्मा  ने सुनी और सम्पूर्ण  मानव जाति को दंडित किया है। एक बार उन सभी मूक जीवों से अवश्य क्षमा मांग लेना चाहिए।  क्योंकि वे अपनी पीड़ा बोल नहीं पाएंगे लेकिन अब हमे उनकी पुकार को अनसुना नहीं करना चाहिए*
*सभी जीवों से  मन वचन काय से उत्तम क्षमा ,उत्तम क्षमा ,उत्तम क्षमा*। *नवकार महामंत्र की एक जाप उन मूक  प्राणियों  की आत्मा की शांति के लिए अवश्य लगाए।*
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