राम को जानना स्वयं की कायाकल्प करना है-आचार्य श्री

#आचार्यश्री के प्रवचन .....राम को जानना और रामायण को जानना अलग-अलग है राम को जानना स्वयं की कायाकल्प करना है, तन मन और आत्मा का परिवर्तन भिन्न होता है साधर्मी के लिए सहोदर भी उस उदर को छोड़ने तैयार हो जाता है जिसमें धर्म की रक्षा ना होती हो। विभीषण के लिए राम बैरी (दुश्मन), रावण बंधु सहोदर फिर भी विभीषण आधीरात लंका छोड़कर राम के दल में पहुंचाता है जहां पूराराम दल मंत्रणा कर रहा था । दुश्मन के मिलने आने पर आगबबूला हुए लक्ष्मण और दिन में आने की बात कहते हैं पर राम लक्ष्मण को शांति का आदेश देकर विभीषण को बुला लेते हैं क्योंकि विभीषण ने अभय के साथ मिलने का समय मांगा था राम की यही शांति की धारा जो शत्रु  भी मित्र बन जाता है आज सारा संसार चारों ओर शत्रुता युद्ध और भय के वातावरण में है संसार के सारे देश चुप और संदेह में कब क्या हो जाए कहां विस्फोट हो जाए।

           पर भारत ने युद्ध विराम के लिए बोलना शुरू कर दिया तो सारे देश भारत के विचारों का समर्थन करने लगे। यही राम का काम और नाम भारत में रामनवमी का यही तो महत्व है पर याद रखो हम राम को मानते हैं और राम की बात को भी मानते हैं तभी भारत महान बनेगा।

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