अच्छी शिक्षा से जीवन में विनम्रता आती है: मुनिश्री


ग्वालियर-मनुष्य के जीवन में विनय का होना बहुत आवश्यक है। विनय भाव से मनुष्य के मान, माया, लोभ, क्रोध इत्यादि में कमी होने लगती है। मनुष्य के जीवन में शांति और आनंद का आगमन हो जाता है। पुत्र का पिता के प्रति, बहू का सास के प्रति, शिष्य का गुरु के प्रति विनयभाव होना चाहिए। यह बात राष्ट्रसंत मुनिश्री विहर्ष सागर जी महाराज ने शुक्रवार को तानसेन नगर स्थित न्यू कॉलोनी में धर्मचर्चा में कही। इस अवसर पर मुनिश्री विजयेश सागर महाराज भी मौजूद थे।

मुनिश्री ने कहा कि शिक्षा पूर्व में भी आवश्यक थी और आज भी आवश्यक है। ऊंची शिक्षा प्राप्त करने के बाद यदि विनय की कमी है, तो वह शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण नहीं होती है। जिसके आचरण में विनयशीलता, सरलता और निर्मलता होती है, उसका सभी जगह सम्मान होता है। लेकिन जिसके पास अहंकार होता है, उसका कहीं भी सत्कार नहीं होता है। उससे धीरे-धीरे सब दूर चले जाते हैं। जहां अहंकार और मैं की भावना होती है, वहां समस्या बढ़ जाती है। परंतु जहां विनय भाव होता है, वहां सभी समस्याओं का समाधान भी हो जाता है।

मनुष्य को त्याग की साधना करनी चाहिए:

मनुष्य को हमेशा त्याग की साधना करनी चाहिए। अपने भावों को शुद्ध करना भी त्याग धर्म है। हमें अपने जीवन में त्याग धर्म को अपनाना चाहिए। मुनिश्री ने कहा कि पहले अपनी दृष्टि बदलो, क्योंकि जैसी आपकी दृष्टि रहेगी, वैसी ही आपकी सोच होगी और यदि सोच अच्छी रहेगी तो आपकी सृष्टि भी बदल जाएगी। यह सांसारिक जीवन एक रंगमंच है। हर व्यक्ति को अपने और बेटे की चिंता है। यहां तक कि वो आने वाली अगली पीढ़ी की चिंता में भी लगा हुआ है।

मुनिश्री ने कराया भगवान शांतिनाथ का अभिषेक

मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज कोरोना वायरस से बचाव के लिए प्रतिदिन अनुष्ठान कर रहे हैं। मुनिश्री ने विशेष मंत्रो से भगवान शांतिनाथ की आराधना की।

संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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