दिखलाया था महावीर ने वह पथ हमने छोड़ दिया
सत्य अहिंसा धर्म पथिक से हमने नाता तोड़ लिया
आज जो महामारी ने विष रूप लिया
शुद्ध आचार शुद्ध विचार शुद्ध खान पान हमने छोड़ दिया
तभी तो यह दूषित वातावरण यह हो गया
इतना कुछ हो गया अब तो समझ लिया जाए
शाकाहार को अपनाकर अपना जीवन अनुपम बनाया जाए
ऐसा हो जाए तो यह महावीर जयन्ती मनाना सफल हो जाए
इस महामारी को जीतने मे सफल हो जाए
अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी