प्रकृति की गोद में बसा हुआ है प्राचीन शिव मंदिर, हजारो वर्ष प्राचीन है शिवलिंग, पहाड़ो में से स्वंय प्रगट हुई थी शिवलिंग,शिवलिंग पर गंगा मईया करती है अभिषेक




योगेन्द्र जैन/हितेश जैन पोहरी। पोहरी तहसील अतर्गत पोहरीं नगर के जंगल में स्थित केदारेश्वर मंदिर पर हर बर्ष की भांति इस बर्ष भी महा शिवरात्रि के  दिन मेले का आयोजन किया जाता है केदारेश्वर धाम अपनी प्राकृतिक सोन्दर्यता व अदभुत जड़ी बूटीओ के कारण संपूर्ण जिले मे अलग ही पहचान बनाये हुये इस मंदिर पर महा शिवरात्रि के दिन मेले में हजारो की संख्या में  भक्तो का तांता लगा रहता है। मंदिर के पुजारी प0 रामनिवास भार्गव ने बताया है केदारेश्वर मंदिर हजारो वर्ष प्राचीन है शिवरात्री के दिन स्वंय भगवान शिव शंकर स्वंय अपने परिवार के साथ विराजमान होकर मानो भक्तो के कष्टो का निवारण करते है। जो भी भक्त भोले नाथ से  मनोकामना मांगता है  वहाँ मनोकामना पूरी होती है इस लिया शिवरात्री के दिन जिले ही नही बल्कि प्रांतो से लोग इस दृश्य को स्वंय देखने के लिये आते है। इस मंदिर में शिवलिंग स्वंय इन पहाड़ो में से प्रगट हुई थी यहाँ पर 12 माह पहाड़ो में से गंगा मईया स्वंय भगवान शिव शंकर का अभिषेक करती है पहाड़ो में से है  जल कहा से आता है किसी को पता नही है यहां की दुर्लभ जडीबूटियो से निकलने बाला पानी सभी बीमारियो के निवारण मे उपयोगी है। 



पंडित जी द्वारा बताया गया कि  इस जल को पीने से चर्म रोग से लेकर बहुत से रोगों में भक्तो को फायदा हुआ है इस लिया इस घने जंगल में बसे होने के बाद भी भक्त यहाँ दर्शन करने आते है प्राचीन मंदिर मे सर्पाे को विचरण करते आम रूप से देखा जा सकता है लेकिन यह किसी भक्त को नुकसान नही पहुंचाते है। यहां हजारो की संख्या मे लोग उपस्थित होते है।



महा शिवरात्रि के दिन लगता है मेला,हजारों भक्त करते है दर्शन-अति प्राचीन केदारेश्वर धाम पर भगवन शिव के दर्शन करने आसपास के हजारों श्रद्धालुओं इस घने जंगल मे आते है और दर्शन करने के बाद प्राचीन मेला का भी आंनद लोग लेते है इस मेले का आयोजन वर्षों से प्रति वर्ष शिवरात्रि के दिन किया जाता है ।


जल है अमृत पीने से चर्म रोग में भी मिलता है फायदा-प्राचीन केदारेश्वर धाम पर दर्शन के साथ लोगो को रोगों से भी राहत मिलती है। पहाड़ो से नीचे गिरने वाले जल रोगियो के लिए अमृत मना जाता है । बताया जाता है यदि इस जल को निरंतर पीने से बहुत से रोगों के साथ चर्म रोग में भी फायदा मिल जाता है। बहुत से लोगो को इस जल से फायदा भी मिला है


प्रकृति 12 माह स्वयं करती है भगवान शिव का जल अभिषेक-प्रकृति की गोद मे वसा अति प्राचीन केदारेश्वर धाम चारो पहाड़ो के साथ जंगल के बीचों बीच वसा हुआ है । 12 माह ही मंदिर में शिव लिंग का प्रकुति स्वयं जल अभिषेक करती है। जल धारा कहा से गिर रही है जल कहा से आ रहा है आज तक किसी को पता नही चल है लेकिन मंदिर के चारो ओर निरंतर जल धारा बहती रहती है


प्रशासन की भक्तों के दर्शन की व्यबस्था-केदारेश्वर धाम पर महा शिवरात्रि के दिन विशाल मेला का आयोजन किया जाता है भक्त दर्शन के साथ ही मेला का आयोजन लेते है। प्रशासन ने भी भक्तों को दर्शन करने की सुविधा का भी ध्यान रखा है पोहरी प्रशासन ने खुद मेले की व्यवस्था को देख जिसे  भक्त आसानी से दर्शन का लाभ ले सके।इस लिया अभी से बेरिकेट लगा दिए गए है

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