अभिषेक जैन कोटा-जीओ और जीने दो के वाक्य में जैन समाज का सार मौजूद है। जो मनुष्य दुनिया में आया है, उसे जाना ही पड़ेगा, लेकिन आने और जाने के भाव को हर व्यक्ति नहीं समझ पाता है। दुनिया को सुख और शांति के लिए अंततोगत्वा अहिंसा के मार्ग की ही शरण लेनी होगी। दुनिया में हर बात का समाधान अहिंसा से ही हो सकता है। यह बात प्रदेश के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने गुरुवार को कोटा में विश्व अहिंसा मैत्री स्तंभ के लोकार्पण समारोह के दौरान कही।
आचार्य श्री विरागसागर जी महाराज की प्रेरणा से किशोरसागर तालाब पर स्थापित किए गए अष्टधातु से निर्मित विश्व अहिंसा मैत्री स्तंभ का गुरुवार को लोकार्पण हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया थे। अध्यक्षता विधायक प्रहलाद गुंजल ने की। वहीं, विशिष्ट अतिथि यूआईटी चेयरमैन रामकुमार मेहता, महापौर महेश विजय थे। गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि मनुष्य योनि को प्राप्त करने के बाद ही आत्मा के महत्व को समझा जा सकता है। जीवन परिवर्तन की रेखा बाल के जितनी पतली होती है। धैर्य, विश्वास और जज्बे से व्यक्ति आगे बढ़ सकता है। जिसके पुण्यों का उदय होता है, वहीं संतों के चरणों को प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि जैन धर्म में छोटे-छोटे वाकयों में पूरा सार छिपा हुआ है। णमोकार मंत्र में सारा सार छिपा हुआ है। संत संस्कार देने वाले पावर हाउस हैं, जिनसे जुड़कर व्यक्ति जीवन की गाड़ी को पटरी पर ला सकता है। उन्होंने कहा कि राजनीति में कोई ऐसा काम नहीं होगा, जिससे जैन समाज का सिर शर्म से झुक जाए। अभी तक राजनीति में बेदाग रहा हूं और आगे भी बेदाग ही रहूंगा।
विधायक प्रहलाद गुंजल ने कहा कि यह धर्म और पर्व की जय का कीर्ति स्तंभ है। स्तंभ का निर्माण संत समाज की बात का सम्मान रखने और मर्यादा में बंधकर महाराज संघ की प्रेरणा से कराया गया है। न्यास चेयरमैन रामकुमार मेहता ने कहा कि शहर के सबसे सुंदर चौराहे का नामकरण आचार्य तरुण सागर महाराज के नाम पर किया जाएगा।
इससे पहले आचार्य विद्यासागर चौराहे पर कीर्ति स्तंभ का निर्माण कराया जा रहा है। इस दौरान सकल दिगंबर जैन समाज के अध्यक् आदि मौजूद रहे। इस अवसर पर सकल दिगंबर जैन समाज ने गृहमंत्री को सम्मेद शिखरजी पर नॉनवेज की दुकानें बंद कराने व तरुण सागर के नाम पर चौराहे के नाम को लेकर ज्ञापन दिया।
मैत्री स्तभ की विशेषता
सर्वधर्म के वाक्य लिखे गए हैं स्तंभ पर : स्तंभ पर सभी धर्मों के अहिंसा के वाक्य लिखे गए हैं। मानस्तंभ पर प्रतिक्रमण सूत्र का 'अहिंसा के समान कोई व्रत नहीं है', गीता से 'सभी प्राणियों से मैत्री करो', गुरु ग्रंथ साहिब से 'दुष्टों से मित्रता मत करो', बाइबिल से 'एक दूसरे से मित्रता करो', कुरान से 'किसी से बैर मत करो' और बौद्ध से धम्म पद 'समस्त प्राणियों से प्रेम करो' लिखा गया है।
इस अवसर पर आचार्य शशांक सागर जी महाराज ने भी अपना उद्बोधन दिया
सुख शांति के लिये अहिंसा मार्ग अपनाना ही होगा- कटारिया अष्ट धातु से निर्मित विश्व अहिंसा मैत्री स्तभ का ग्रहमंत्री ने किया लोकार्पण
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Friday, October 05, 2018
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