जिस समाज में एकता, उसे ही मिलता है लाभ मुनि श्री पूज्य सागर

अभिषेक जैन विदिशा-जो धन का सही सदुपयोग करता है वह जीते जी तो लाभ उठाता ही है उसका फल उसे मरणोपरांत भी मिलता हैं। भक्त अपने भगवान से कहता है कि हे भगवन मेरे अंदर स्तुति करने की शक्ति तो नहीं थी लेकिन आपके प्रभाव से मेरे अंदर इतनी अधिक शक्ति आ जाती है कि में आपकी भक्ति करने में समर्थ हो जाता हूं। उपरोक्त उद्गार आचार्य श्री  विद्या सागर जी महाराज के प्रभावक शिष्य मुनिश्री  पूज्य सागरजी  महाराज ने भक्तामर स्त्रोत की वाचना करते हुए अरिहंत विहार जैन मंदिर में प्रात: काल की प्रवचन सभा में व्यक्त किए।
मुनि श्री ने समाज को संबोधित करते हुए कहा कि आप लोग देखना कि ठंड के समय सुबह-सुबह कमलिनी पर जब ओस की बूंद गिरती हैं तो वह मोती के समान दिखती हैं और तालाब में गिरती हैं तो पानी में परिवर्तित हो जाती हैं। उसी प्रकार जहां समाज में एकता होती है वहां पर लाभ ही लाभ मिलता है। विदिशा के बनिया हो आखिर बुद्धि लगाते हो लाभ ही लाभ देखते हो और उसका लाभ यहां पर भी मिल गया। जब युक्ति के साथ भक्ति करते हो तो लाभ तो मिलता ही है। साक्षात उदाहरण आपके सामने हैं देख लो विदिशा में एक व्यक्ति ने तो राखी की बोली ली उस बोली का फायदा तो देखो समाज के लोग एकता के साथ खजुराहो पहुंचे और सभी ने मिलकर एकता का परिचय दिया। उसका प्रभाव तो देखो- आचार्य श्री कभी-भी किसी नगर का नाम ज्यादा नहीं लेते लेकिन विदिशा वालों यह आप लोगों का पुण्य था जो कि पांच-पांच बार आचार्य श्री के श्रीमुख से विदिशा का नाम निकला। आप लोग एकता के साथ गए तो वहां पर जाकर आशीर्वाद भी एकता का ही पाया। मुनि श्री ने कहा कि एकता में ही शक्ति है और उसी शक्ति का परिणाम है कि एक व्यक्ति ने धर्म किया और लाभ पूरी समाज को मिला है। जैसे वर्तमान में आचार्य गुरुदेव विद्या सागर जी महाराज के मुनि बनने से धर्म की कितनी अधिक प्रभावना पूरे भारत वर्ष में हुई है। हर व्यक्ति उनके आशीर्वाद को पाना चाहता है और आप लोगों के ऊपर तो उनका विशेष आशीर्वाद है तभी तो आपके विदिशा नगर में भगवान का ऐतिहासिक समवशरण मंदिर बनने जा रहा है। आप लोगों ने जैसी एकता का परिचय वहां जाकर दिया। उसकी प्रशंसा आपको गुरु मुख से भी मिली और यहां पर भी बड़े महाराज ने आशीर्वाद दिया। मुनि श्री ने कहा कि देखा आप लोगों ने एकता और बहुमत से जाने का प्रभाव आचार्य गुरुदेव ने अपने मुख से प्रवचनों में एक बार नहीं पांच बार विदिशा का नाम लिया और आप लोगों को भी वहां पर भी एकता का ही संबोधन मिला।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी

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