"लेकिन साहब वहाँ तो पहले से ही साफ - सफाई है", रामसिंह ने उत्तर दिया ।
'अरे तुम समझे नहीं, कल केंद्रीय मंत्री जी का कार्यक्रम है', बॉस ने एक बार फिर समझाते हुए कहा ।
'अरे तुम समझे नहीं, कल केंद्रीय मंत्री जी का कार्यक्रम है', बॉस ने एक बार फिर समझाते हुए कहा ।
कल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का जन्मदिन यानी कि "गाँधी जयन्ती" है और पूरे देश भर इस बार इस दिन को विशेष तौर पर मनाया जाने वाला है । गाँधी कहा करते थे कि- 'स्वच्छता में ही ईश्वर का वास है' , इसलिए इस बार उनके जन्मदिन पर सफाई अभियान चलाया जाएगा । आगे चलने पर दो चार खड़े लोग चर्चा कर रहे थे ।
मैं आगे निकल गया और देखा तो पाया कि पूरा शहर होर्डिंग्स बैनर तले दबा हुआ था । अगले दिन शासकीय अवकाश था इसलिए मैं घर पर ही था । मेरा घर सुंदर नगर के पास की कॉलोनी वसंत विहार में था । सुंदर नगर को बसे हुए अभी कुछ ही साल हुए थे इसलिए इसमें मूलभूत सुविधाएं बहुत कम ही थी । न तो सड़क थी और न पेयजल आपूर्ति , सफाई का तो आलम ऐसा था कि इससे गुजरने वाले लोग बिना अपनी नाक बंद किये निकल नहीं सकते थे, रहवासियों का पता नहीं कैसे इस नरक में साँस ले पा रहे थे । बावजूद इस गंदगी के कचरे में भी अपनी रोजी रोटी की तलाश करने वाले लोग प्लास्टिक, रद्दी ऐसे समेटते थे जैसे कि इसमें कोई गंध आती ही नहीं है । नगर पालिका के प्रतिनिधि विगत चुनाव में सिर्फ वोट के बदले जुमलों की सौगात दे गए थे , ऐसा नहीं कि इस कॉलोनी रहवासियों ने अपने पार्षद को समस्या से अवगत न कराया हो,लेकिन नेताजी इस गंदगी की आती सुगंध से बचने कभी कदम भी नहीं रखे । जबसे देश के प्रधान ने "स्वच्छता अभियान" चलाया तबसे हर घर को शौचालय के अलावा गली गली, मोहल्लों में सफाई कर्मी और कूड़ेदान रखे गए और इतना ही नहीं नगर पालिका की कचरा संग्रहण गाड़ी सुबह सुबह स्वच्छता गीत की धुन बजाती हर गली में पहुंचे इसके लिए मंगवाई थी लेकिन सुंदर नगर में न तो कूड़ेदान थे,न सफाई कर्मी और गाड़ी कैसी होती है काश मोहल्ले वाले दर्शन कर पाते ।
अगले ही दिन मैं भी सुंदर नगर में मंत्री जी के कार्यक्रम को देखने की चाहत में पहुँच गया । आज वास्तव में सुंदर नगर सुंदर लग रहा था । साफ -सुथरी गली, गली की रोड़ पर चूना डाला गया था । मैं वहाँ पहुँच गया जहाँ मंत्री जी का कार्यक्रम रखा गया था । भव्य मंच सजाया गया था और सामने कुछ कुरसियाँ, सफाईकर्मी नगर पालिका द्वारा दी गई ड्रेस में खड़े थे, शायद इस गली में आज से पहले की दुर्दशा के लिए आज मंत्री जी उनका सम्मान करने वाले थे ।
थोड़ी ही देर में पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री श्री वीरेंद्र प्रताप सिंह कुछ गाड़ियों के काफिले के साथ सुंदर नगर में प्रवेश किये । पुलिस भीड़ को एक तरफ कर रही थी । पहले से मौजूद नगर पालिका अध्यक्ष विकास नारायण केलकर, सभापति महेश माहौर नगर पालिका सीएमओ विनोद वर्मा ने केंद्रीय मंत्री जी की आगवनी की । क्षेत्रीय विधायक और प्रदेश सरकार की शहरी विकास मंत्री ममता सिंह और समता पार्टी के जिलाध्यक्ष भावेश शर्मा ने केंद्रीय मंत्री के सफाई अभियान को अंजाम दिया ।
सभी ने मंच से कुछ ही दूरी पर एक खुले मैदान में झाड़ू लगाई । जैसे मंत्री सहित अन्य लोगों ने झाडू जमीन से लगाया तमाशा देख रही जनता ने जोरदार ताली बजाकर मंत्री जी का अभिनंदन किया और मौजूद पत्रकारों ने फ़ोटो खींचना शुरू कर दिया । भीड़ की बजती तालियों के बीच कैमरे के शटर की आवाज साफ सुनाई दे रही थी ।
ये सब दृश्य मैं भीड़ के पीछे खड़ा होकर देख रहा था । मुझसे रहा नहीं गया,ये सोचते हुए कि सफेद पॉश कपड़ों में रहने वाले और मखमल के गद्दे पर सोने वाले ये राजनेता जब झाडू लगा सकते हैं तो हम लोग क्यों नहीं अपने घर,गली मोहल्ले को साफ रख सकते हैं और मैं भीड़ को चीरते हुए आगे की ओर बढ़ गया । जैसे ही मैं सफाई स्थल पर पहुँचा तो दंग रह गया, ये क्या मंत्री जी के हाथ में नई नवेली झाडू तो ठीक है लेकिन जिस जगह नेताजी झाड़ू लगा रहे थे वहाँ गंदगी तो छोड़िए हवा से उड़कर आने वाले कचरे का तिनका भी नहीं था, इतना ही नहीं राजनेताओं ने फ़ोटो खिंचने के बाद बिसलरी की बोतल के पानी से हाथ धुले और पास ही खड़े व्यक्ति ने उन्हें सफेद दूधिया साफी से हाथ पोंछ मंच की ओर बढ़ गए । मंच पर चढ़ मंत्री जी ने नगर पालिका के तमाम सफाईकर्मी और सफाई के काम में हाथ बांटने वाले उन कर्मियों का शॉल ओढ़ाकर श्रीफल भेंट कर सम्मान किया जिनकी बजह से सुंदर नगर समेत तमाम गलयों में लगे कचरे के ढेरों के लिए जिम्मेदार थे । मैं तो ये सब देखकर इस कशमकश में था कि सफाई करने के लिए सफाई की गई या साफ किये हुए पर सफाई यानी पहले साफ फिर सफाई । मंत्री जी के जाने के बाद कार्यक्रम स्थल पर बिखरे पड़े खाने के पैकेट,पानी पाऊच की पॉलीथिन और पुष्पहारों के बिखरे पड़े पुष्पों से एक बार फिर सुंदर नगर मूलरूप में तब्दील हो गया ।
सम्मानित हुए कर्मचारी खुश थे अगले ही दिन सभी अखबार की प्रमुख खबर मंत्री जी की झाड़ू वाली फ़ोटो के साथ छपी खबर लेकिन मैं अभी भी इस उलझन में था कि देश शौच से गंदा है या फिर सोच से । क्या सफाई की नैतिक जिम्मेदारी राजनेताओं की है या हम सब नागरिकों की, लेकिन जो भी हो विज्ञापन पर सरकार जी खर्च करती हैं, राजनेताओं के कार्यक्रम करती है उतने में कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए और सबसे बड़ी बात है उस काम का प्रबंधन ,नहीं तो हर सुंदर नगर सिर्फ नाम का सुंदर होगा ।
अगले ही दिन मैं भी सुंदर नगर में मंत्री जी के कार्यक्रम को देखने की चाहत में पहुँच गया । आज वास्तव में सुंदर नगर सुंदर लग रहा था । साफ -सुथरी गली, गली की रोड़ पर चूना डाला गया था । मैं वहाँ पहुँच गया जहाँ मंत्री जी का कार्यक्रम रखा गया था । भव्य मंच सजाया गया था और सामने कुछ कुरसियाँ, सफाईकर्मी नगर पालिका द्वारा दी गई ड्रेस में खड़े थे, शायद इस गली में आज से पहले की दुर्दशा के लिए आज मंत्री जी उनका सम्मान करने वाले थे ।
थोड़ी ही देर में पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री श्री वीरेंद्र प्रताप सिंह कुछ गाड़ियों के काफिले के साथ सुंदर नगर में प्रवेश किये । पुलिस भीड़ को एक तरफ कर रही थी । पहले से मौजूद नगर पालिका अध्यक्ष विकास नारायण केलकर, सभापति महेश माहौर नगर पालिका सीएमओ विनोद वर्मा ने केंद्रीय मंत्री जी की आगवनी की । क्षेत्रीय विधायक और प्रदेश सरकार की शहरी विकास मंत्री ममता सिंह और समता पार्टी के जिलाध्यक्ष भावेश शर्मा ने केंद्रीय मंत्री के सफाई अभियान को अंजाम दिया ।
सभी ने मंच से कुछ ही दूरी पर एक खुले मैदान में झाड़ू लगाई । जैसे मंत्री सहित अन्य लोगों ने झाडू जमीन से लगाया तमाशा देख रही जनता ने जोरदार ताली बजाकर मंत्री जी का अभिनंदन किया और मौजूद पत्रकारों ने फ़ोटो खींचना शुरू कर दिया । भीड़ की बजती तालियों के बीच कैमरे के शटर की आवाज साफ सुनाई दे रही थी ।
ये सब दृश्य मैं भीड़ के पीछे खड़ा होकर देख रहा था । मुझसे रहा नहीं गया,ये सोचते हुए कि सफेद पॉश कपड़ों में रहने वाले और मखमल के गद्दे पर सोने वाले ये राजनेता जब झाडू लगा सकते हैं तो हम लोग क्यों नहीं अपने घर,गली मोहल्ले को साफ रख सकते हैं और मैं भीड़ को चीरते हुए आगे की ओर बढ़ गया । जैसे ही मैं सफाई स्थल पर पहुँचा तो दंग रह गया, ये क्या मंत्री जी के हाथ में नई नवेली झाडू तो ठीक है लेकिन जिस जगह नेताजी झाड़ू लगा रहे थे वहाँ गंदगी तो छोड़िए हवा से उड़कर आने वाले कचरे का तिनका भी नहीं था, इतना ही नहीं राजनेताओं ने फ़ोटो खिंचने के बाद बिसलरी की बोतल के पानी से हाथ धुले और पास ही खड़े व्यक्ति ने उन्हें सफेद दूधिया साफी से हाथ पोंछ मंच की ओर बढ़ गए । मंच पर चढ़ मंत्री जी ने नगर पालिका के तमाम सफाईकर्मी और सफाई के काम में हाथ बांटने वाले उन कर्मियों का शॉल ओढ़ाकर श्रीफल भेंट कर सम्मान किया जिनकी बजह से सुंदर नगर समेत तमाम गलयों में लगे कचरे के ढेरों के लिए जिम्मेदार थे । मैं तो ये सब देखकर इस कशमकश में था कि सफाई करने के लिए सफाई की गई या साफ किये हुए पर सफाई यानी पहले साफ फिर सफाई । मंत्री जी के जाने के बाद कार्यक्रम स्थल पर बिखरे पड़े खाने के पैकेट,पानी पाऊच की पॉलीथिन और पुष्पहारों के बिखरे पड़े पुष्पों से एक बार फिर सुंदर नगर मूलरूप में तब्दील हो गया ।
सम्मानित हुए कर्मचारी खुश थे अगले ही दिन सभी अखबार की प्रमुख खबर मंत्री जी की झाड़ू वाली फ़ोटो के साथ छपी खबर लेकिन मैं अभी भी इस उलझन में था कि देश शौच से गंदा है या फिर सोच से । क्या सफाई की नैतिक जिम्मेदारी राजनेताओं की है या हम सब नागरिकों की, लेकिन जो भी हो विज्ञापन पर सरकार जी खर्च करती हैं, राजनेताओं के कार्यक्रम करती है उतने में कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए और सबसे बड़ी बात है उस काम का प्रबंधन ,नहीं तो हर सुंदर नगर सिर्फ नाम का सुंदर होगा ।
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| इंजी वीरबल सिंह लेखक एव कवि |

