अभिषेक जैन आंवा -मुनि श्री सुधासागरजी महाराज ने कहा कि हमें अपनी जिंदगी को भाग्य ओर धर्म के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए। हमें कर्म भी करना पड़ेगा तभी जाकर हमारा धर्म ओर भाग्य साथ देगा। मुनिश्री सोमवार को सुदर्शनोदय तीर्थ क्षेत्र आवां में आयोजित धर्मसभा में श्रद्धालुओं को प्रवचन कर रहे थे।
महाराज ने कहा कि मनुष्य को ये सोचकर नहीं बैठना चाहिए कि किस्मत में होगा जो मिल जाएगा। में बहुत बड़ा धर्मात्मा हूं ओर कोई काम नहीं करें तो ये गलत है। तुम्हें अपने उपादान को जगाना होगा धर्म का अर्थ इतना ही है कि आप निमित्त के अधीन ना रहो। उन्होंने कहा कि अगर अपनी जिंदगी को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो अपनी जीवन में काम आने वाले किचिन और शयन कक्ष को अपने अधीन रखना चाहिए।मुनिश्री ने कहा कि जो व्यक्ति अपने आप को नहीं देखता आपकी आंख आपको नहीं देख पाती। जो अपने आप को नहीं देख सकता, वह अपना कल्याण नहीं कर सकता। महाराज ने कहा कि एक वकील साहब थे सारी दुनिया का ज्ञान था लेकिन अपने घर में कौन आता है पता ही नहीं है।
मुनिश्री ने कहा कि तुम क्या हो तुम्हारा दुनिया में क्या स्थान है तुम अपनी त्रकाली सत्ता को समझो। त्रिकाली सत्ता का मतलब पड़ोसी की चिंता नहीं करना अपने आत्मा की चिंता करना शरीर की चिंता करना। हमें अपने आप की चिंता करना है शिविर लगना, मन्दिर बनाना है। कई दिन से चिन्तन चल रहा था, मेरा पड़ोसी, मेरा नगर, मेरा देश कैसा है। मेरा लग गया मेरा शब्द लगते ही तुम अपनी आत्मा की चिंता कर रहे हो । क्योंकि यदि मेरे गुरु को कुछ हो गया तो मेरी आत्मा में क्लेश हो जाएगा, मेरा लगते ही में साधु अपने हो गए, कौन है मेरे गुरु ।पराये की सेवा करना नौकरी है अपनो की सेवा करना नौकरी नहींं है, मेरा शब्द लगते ही तुम अपनी आत्मा की चिंता कर रहे हो।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी
ज़िन्दगी को भाग्य भरोसे नहीं छोडना मुनि श्री सुधासागर
0
Tuesday, October 02, 2018
Tags