शिवराज-महाराज की मुलाकात से सरकार-संगठन चिंता में-




राजनीतिक हलचल-राजनीति में कब, कौन,किसका हो जाए इसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है और राजनीति में कोई किसी का दुश्मन नहीं होता है, इस बात को पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के फायर ब्रांड नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सूबे की राजनीति के पूर्व मुखिया शिवराज सिंह से अचानक मुलाकात कर साबित कर दिया । विदित हो कि सियासत के मैदान में शिवराज और महाराज यानी सिंधिया एक दूसरे को पानी पी पीकर कोसते रहे हैं , खुद शिवराज सिंह ने सिंधिया और उनके पूर्वजों को सन 57 का देश का गद्दार कहा तो भाजपा के अन्य नेता उन्हें श्रीमंत और महाराज सम्बोदन पर घेरते रहे हैं, इतना ही नहीं 2018 का विधानसभा चुनाव में भाजपा सहित खुद पूर्व मुख्यमंत्री ने सिंधिया को "माफ करो महाराज-हमारा नेता शिवराज" के नारे के साथ टारगेट किया था । प्रदेश में कांग्रेस ने जोड़ तोड़कर सरकार बनाई तो सिंधिया को कुछ खास तवज्जों नहीं मिली तो वहीं शिवराज सिंह भी अपनी ही पार्टी में हाशिए पर आ गए,ऐसे में उनकी मुलाकात से सूबे की सरकार सहित शिवराज सिंह के संगठन के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं । स्वयं सिंधिया का देर रात अचानक शिवराज के आशियाने में पहुंचकर आधा घंटे के गुफ्तगू करना सौजन्य भेंट तो नहीं हो सकती । शिव-राज में टारगेट रहे महाराज की मेहमानवाजी में मामाजी ने कोई कसर नहीं छोड़ी और वो गाड़ी तक उनको विदा करने आए । दोनों की मुलाकात ने दोनों के बडप्पन को दिखाया है तो अपनी अपनी पार्टी में हाशिए पर चल रहे नेताओं की मुलाकात ने सबकी नींदे उड़ा दी हैं । देखना होगा कि अब ये मुलाकात सूबे की राजनीति के लिए क्या साबित होगी,राजनीतिक पंडित बताते हैं कि राजनीति में सभी नेता एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं उनमें मतभेद होते हैं मनभेद नहीं होते हैं ।

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