कुंडलपुर -निमार्णाधीन बड़े बाबा के मंदिर को पूरा करने का काम तेजी से चल रहा है। इस मंदिर में 12 साल से 2 सौ से ज्यादा कलाकार पत्थरों की नक्काशी करने में लगे हैं।
मंदिर की खास बात यह है कि ये 600 फीट ऊंची पहाड़ी पर 179 फीट ऊंचा बनाया जा रहा है। जैन समाज के लोग इसे देश में जैन धर्म का पहाड़ी पर बनने वाला पहला शिखर वाला मंदिर बता रहे हैं। पहाड़ी की ऊंचाई मिला दी जाए तो यह मंदिर 779 फीट ऊंचा हो जाएगा।
12 साल से काम करने में लगे हैं 200 से ज्यादा कारीगर, पहाड़पुर से लाकर लगाया पत्थर
यह है मंदिर की खासियत
निर्माण समिति में शामिल सतीश नामदेव ने बताया कि नागर शैली में बन रहे 179 फीट ऊंचे शिखर वाले इस मंदिर को 400 फीट लंबा और 280 फीट चौड़ा बनाया जा रहा है। इस मंदिर के अंदर भी तीन मंदिर हैं। नए मंदिर में चौबीस तीर्थकारों की त्रिकाल चौबीसी यानी 72 तीर्थकर विराजमान होंगे, जिसमें 5 पंचबालयति जिनालय भी हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर का गर्भगृह 189 फीट का, गुण मंडप 144 फीट का, 71 फीट ऊंचा नृत्यमंडप और 51 फीट ऊंचा रंग मंडप है। इसके अलावा 31 फीट ऊंची श्रंगार चौकी भी है। यह चौकी बड़े बाबा की पुरानी वेदी स्थान पर होगी। मंदिर को पहाड़पुर के पत्थरों द्वारा बनाया जा रहा है। जिसमें प्राचीन भारतीय शिल्पकला व वास्तुकला के अनुरूप अद्भुत व अनूठी नक्काशी का समावेश है।
यहां पर बता दें कि मंदिर में बड़े बाबा आदिनाथ भगवान की 5वीं, 6वीं शताब्दी की गुप्तकालीन पद्मासन मुद्रा की आतिशय कारी प्रतिमा स्थापित है। इसी तरह प्रतिमा दूसरे तीर्थ स्थलों पर देखने को नहीं मिलेगी। यह बड़े बाबा की 15 फीट की ऊंची प्रतिमा एक ही पत्थर पर तराशी गई है। साथ ही यहां पर पहाड़ियों के बीच अति अलौकिक 63 जिन मंदिर स्थापित हैं। जिनमें अनेक तीर्थकर विराजमान हैं। मंदिर के मुख्य प्रबंधक कार्यालय के तल से पहाड़ी की ऊंचाई 600 फीट है। इसके ऊपर 179 फिट ऊंचा मंदिर बनाया जा रहा है।
5 पुस्तकों में किया कुंडलपुर की गाथा का वर्णन
लेखिका और विचारक डॉ. सुधा मलैया ने सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर में बड़े बाबा की मूर्ति स्थापना के दौरान घटी अद्भ़ुत घटनाओं से लेकर कानूनी लड़ाई तक का उल्लेख जीवंत किया है। जिसमें बड़े बाबा की मूर्ति स्थापना, आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के कुंडलपुर आगमन, विहार और पंचकल्याणक का उल्लेख है। पहली पुस्तक कुंडलगिरी वर्ष 2001 में 100 पेज की लिखी। उसके बाद वर्ष 2001 से 2016 के बीच तक उन्हांेने चार पुस्तक गगन विहार बड़े बाबा का, महामस्तकाभिषेक बड़े बाबा का, बड़े बाबा आदिनाथ का और छाेटे आचार्य श्री विद्यासागर का, लिखी। श्रीमती डॉ. मलैया ने बताया कि शादी के एक माह बाद ही मई 1973 में पहली बार कुंडलपुर जाना हुआ। जहां की आलौकिक भव्यता देखने के बाद यह सिद्ध तीर्थ क्षेत्र उनके मन में बस गया। अपनी पुस्तक में उन्होंने पुराने और नए मंदिर का अंतर, मंदिर की भव्यता का वर्णन, मूर्ति का इतिहास और उसकी विशेषता बताई है।
प्राप्त जानकारी के साथ एक रिपोर्ट अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
मंदिर की खास बात यह है कि ये 600 फीट ऊंची पहाड़ी पर 179 फीट ऊंचा बनाया जा रहा है। जैन समाज के लोग इसे देश में जैन धर्म का पहाड़ी पर बनने वाला पहला शिखर वाला मंदिर बता रहे हैं। पहाड़ी की ऊंचाई मिला दी जाए तो यह मंदिर 779 फीट ऊंचा हो जाएगा।
12 साल से काम करने में लगे हैं 200 से ज्यादा कारीगर, पहाड़पुर से लाकर लगाया पत्थर
यह है मंदिर की खासियत
निर्माण समिति में शामिल सतीश नामदेव ने बताया कि नागर शैली में बन रहे 179 फीट ऊंचे शिखर वाले इस मंदिर को 400 फीट लंबा और 280 फीट चौड़ा बनाया जा रहा है। इस मंदिर के अंदर भी तीन मंदिर हैं। नए मंदिर में चौबीस तीर्थकारों की त्रिकाल चौबीसी यानी 72 तीर्थकर विराजमान होंगे, जिसमें 5 पंचबालयति जिनालय भी हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर का गर्भगृह 189 फीट का, गुण मंडप 144 फीट का, 71 फीट ऊंचा नृत्यमंडप और 51 फीट ऊंचा रंग मंडप है। इसके अलावा 31 फीट ऊंची श्रंगार चौकी भी है। यह चौकी बड़े बाबा की पुरानी वेदी स्थान पर होगी। मंदिर को पहाड़पुर के पत्थरों द्वारा बनाया जा रहा है। जिसमें प्राचीन भारतीय शिल्पकला व वास्तुकला के अनुरूप अद्भुत व अनूठी नक्काशी का समावेश है।
यहां पर बता दें कि मंदिर में बड़े बाबा आदिनाथ भगवान की 5वीं, 6वीं शताब्दी की गुप्तकालीन पद्मासन मुद्रा की आतिशय कारी प्रतिमा स्थापित है। इसी तरह प्रतिमा दूसरे तीर्थ स्थलों पर देखने को नहीं मिलेगी। यह बड़े बाबा की 15 फीट की ऊंची प्रतिमा एक ही पत्थर पर तराशी गई है। साथ ही यहां पर पहाड़ियों के बीच अति अलौकिक 63 जिन मंदिर स्थापित हैं। जिनमें अनेक तीर्थकर विराजमान हैं। मंदिर के मुख्य प्रबंधक कार्यालय के तल से पहाड़ी की ऊंचाई 600 फीट है। इसके ऊपर 179 फिट ऊंचा मंदिर बनाया जा रहा है।
5 पुस्तकों में किया कुंडलपुर की गाथा का वर्णन
लेखिका और विचारक डॉ. सुधा मलैया ने सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर में बड़े बाबा की मूर्ति स्थापना के दौरान घटी अद्भ़ुत घटनाओं से लेकर कानूनी लड़ाई तक का उल्लेख जीवंत किया है। जिसमें बड़े बाबा की मूर्ति स्थापना, आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के कुंडलपुर आगमन, विहार और पंचकल्याणक का उल्लेख है। पहली पुस्तक कुंडलगिरी वर्ष 2001 में 100 पेज की लिखी। उसके बाद वर्ष 2001 से 2016 के बीच तक उन्हांेने चार पुस्तक गगन विहार बड़े बाबा का, महामस्तकाभिषेक बड़े बाबा का, बड़े बाबा आदिनाथ का और छाेटे आचार्य श्री विद्यासागर का, लिखी। श्रीमती डॉ. मलैया ने बताया कि शादी के एक माह बाद ही मई 1973 में पहली बार कुंडलपुर जाना हुआ। जहां की आलौकिक भव्यता देखने के बाद यह सिद्ध तीर्थ क्षेत्र उनके मन में बस गया। अपनी पुस्तक में उन्होंने पुराने और नए मंदिर का अंतर, मंदिर की भव्यता का वर्णन, मूर्ति का इतिहास और उसकी विशेषता बताई है।
प्राप्त जानकारी के साथ एक रिपोर्ट अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी