शिष्य की अपेक्षा गुरु की सोच बहुत ही लंबी होती है : मुनि समता सागरजी



बड़ोदिया| -कस्बे के दिगंबर जैन मंदिर में सोमवार को विद्यासागरजी महाराज के शिष्य मुनि समता सागरजी ने कहा कि गुरु का ह्दय बहुत ही सरल होता है। गुरु की सोच लंबी होती है, हम जहां तक समझने की कोशिश करते हैं, उससे कही ज्यादा गुरु सोचते हैं तभी तो शिष्य भी उनका अनुसरण करते हुए उनके बताए मार्ग पर तथा अनुशासन से चलते हैं। उन्होंने आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के आचार्य पद को प्राप्त करने के संस्मरण को सुनाते हुए कहा कि मुनि विद्यासागरजी आचार्य पद लेने को तैयार नहीं थे पर उनके गुरु आचार्यश्री ज्ञानसागरजी महाराज की सोच बहुत ही लंबी थी।
       संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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