भावों में निर्मलता के बिना भगवान की आराधना करना व्यर्थ : आचार्य विमद सागर जी



लोहारिया-लोहारिया कस्बे में विराजमान आचार्य विमद सागरजी  महाराज ने रविवार को सुबह प्रवचन शृंखला में श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आत्मा का कल्याण करना है तो भेद विज्ञान का ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है। जिससे अंदर के भावों का शुद्धिकरण हो सके। यदि अंदर के भावों में निर्मलता आएगी तो इंसान को ईश्वर के दर्शन हो पाएंगे। भक्त का यही भाव भगवान को पसंद आता है। आचार्य ने कहा कि व्यक्ति धर्म का काम करता है। लेकिन काम का धर्म नहीं करता। इस अवसर पर आचार्य ने भाव पूर्ण भक्ति करने का उपदेश दिया। भावों में निर्मलता के बिना भगवान की आराधना करना व्यर्थ है।
     संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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