प्रेम से जो काम होते हैं, वे स्थाई होते हैं : मुनिश्री सुब्रतसागर जी

अभिषेक जैन सागर-अंकुर कालोनी मकरोनिया में विराजमान मुनिश्री 108 सुब्रतसागर जी महाराज ने शनिवार को धर्मसभा में प्रवचन देते हुए मुनिश्री ने कहा कि जब तक हम अपने आत्म स्वरूप का चिंतन नहीं करेंगे। इसे प्राप्त करने का प्रयास नहीं करेंगे। तब तक हम जो भी अनुष्ठान करते हैं। उसका फल हमें उतना प्राप्त नहीं होगा। लक्ष्य निर्धारण कर लेने के बाद यही फल हमें अनंत गुना मिलने लगता है। साधना को व्यवस्थित करके ही फल की प्राप्ति की जा सकती है, जो बातें अरिहंत भगवान के द्वारा कहीं गई है उसे हमें सुनना है। जानना है। मानना है।

ग्रंथों को पढ़ने से हमारी श्रद्धा और सम्यग्दर्शन मजबूत होता है। लोगों के प्रभाव में आकर हमें अपनी श्रद्धा, धारणा नहीं बदलना चाहिए। श्री कुंदकुंद भगवान लिखते हैं कि पंचम काल में मुनि देखने को मिलेंगे। वह अपनी तपश्चर्या के द्वारा इंद्र पद धारण कर विदेह क्षेत्र में जन्म लेकर मोक्ष को प्राप्त करेंगे।
  संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी

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