गोटेगांव-गुरु माँ पूर्णमति माताजी ने कहा भटकोगे लेकिन गुरु से प्रीत करोगे तो जीवन उन्नत हो जाएगा।
उन्होंने कहा विद्याधर पूर्व जन्म के पुण्य से ही बाहर और भीतर का लौकिक धर्म का संतुलन बनाकर चल रहे थे। जिसका परिणाम यह था कि विद्याधर कक्षा मे प्रथम स्थान प्राप्त करते है तो माँ उनका माथा चूमती है फिर विद्याधर माँ के चरण छू लेता है और कहता है यह सब आपके ही आशीर्वाद का फल है। आर्यिका माताजी ने कहा कि पुण्य पुरुषों को प्रकृति स्वयं संयोग जुटाती है।
आर्यिका श्री ने आचार्य विद्याधर के बचपन से जुड़े विभिन्न प्रसंगों को सुनाया। जिससे यह उपदेश किया कि जब तक असंयम की गाठ नही खुलेगी तब तक संयम की ध्वजा नही फहरायेगी। और न ही आनंद की वर्षा होगी।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी
उन्होंने कहा विद्याधर पूर्व जन्म के पुण्य से ही बाहर और भीतर का लौकिक धर्म का संतुलन बनाकर चल रहे थे। जिसका परिणाम यह था कि विद्याधर कक्षा मे प्रथम स्थान प्राप्त करते है तो माँ उनका माथा चूमती है फिर विद्याधर माँ के चरण छू लेता है और कहता है यह सब आपके ही आशीर्वाद का फल है। आर्यिका माताजी ने कहा कि पुण्य पुरुषों को प्रकृति स्वयं संयोग जुटाती है।
आर्यिका श्री ने आचार्य विद्याधर के बचपन से जुड़े विभिन्न प्रसंगों को सुनाया। जिससे यह उपदेश किया कि जब तक असंयम की गाठ नही खुलेगी तब तक संयम की ध्वजा नही फहरायेगी। और न ही आनंद की वर्षा होगी।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

