बांसवाड़ा-मोहन कॉलोनी में स्थित भगवान आदिनाथ मंदिर में आचार्य पुलक सागरजी महाराज ने अपने प्रवचन के माध्यम से बताया कि भगवान को तो सारी दुनिया प्यार करती है, लेकिन हमें भी कोई ऐसा कोई काम करना चाहिए, जिससे की भगवान हमें प्यार करें। आचार्य जी ने कहा कि लोग जन्मदिन को तो याद रखते हैं, लेकिन मृत्यु को भूल जाते हैं। मृत्यु की कोई चर्चा नहीं करता, कोई करना भी नहीं चाहता है। अगर किसी से मजाक में पूछ भी लो की तुम कब मरोगे तो नाराज तो होगा। साथ ही कहेगा कि मैं मरु या नहीं पर तुम्हें जिंदा नहीं छोडूंगा। हमें मौत की बात से भय लगता है। जब जन्म होता है तभी मृत्यु का भी सिलसिला शुरू हो जाता है।
हम रोज थोड़ा-थोड़ा मर रहे हैं। हमें सूरज का निकलना तो याद है, लेकिन दिन का ढलना भूल जाते हैं। यही तो भूल है। यही कारण है मनुष्य दुनिया में आकर मोह माया में भटक जाता है। आचार्य जी ने कहा जन्मदिवस तुम्हारे लिए चेतावनी दिवस होता है। जो तुम्हे याद दिलाता है की मौत तुम्हारे पास एक कदम और बढ़ चुकी है। आचार्य जी ने कहा कि जब घर में किसी बच्चे का जन्मदिवस होता है तो केक रखते हैं। मोमबत्ती जलाते हैं फिर फूंक मारकर बुझा देते हैं। जिसके कारण मुंह का थूक भी केक पर गिर जाता है और लोग नाच नाचकर केक खाते हैं। ये कैसा उत्सव है। पाश्चात्य की संस्कृति को क्यों अपना रहे हैं।
आचार्य जी ने कहा कि जन्मदिवस या अच्छे दिन पर मोमबत्ती बुझाना अच्छी बात नहीं हैं। यह तो प्रकाश से अंधकार की ओर जाना हुआ। आचार्य जी ने कहा कि हमारा भारत देश प्रकाश का देश है। जन्मदिन ज़रूर बनाए, लेकिन भारत की संस्कृति के अनुरूप होना चाहिए। आचार्य जी ने कहा कि आप बच्चे को जन्मदिन मंदिर में जाकर मनाओ। आचार्य जी ने कहा कि मैं तो कहता हूं कि आप अपना जन्मदिन श्मशान घाट में जाकर मनाओ ताकि तुम्हें मृत्यु का भी ज्ञान हो। साथ ही श्मशान घाट पर ही हर कार्य करने की कोशिश होनी चाहिए ताकि आपको मृत्यु याद रहे। क्योंकि एक दिन तो तुम्हें इसी जगह विश्राम करना होगा। मृत्यु तो ज़रूर आएगी, लेकिन मौत आए तो संत की तरह आनी चाहिए। साथ लॉकडाउन में गरीब लोगों की मदद कर समाज सेवी के लिए भी आचार्य जी ने कहा कि मैं सभी को आशीर्वाद देता हूं और गरीबों की जितनी हो सके उतनी मदद करनी चाहिए।
संकलन अभिषेक जैन लूहाडीया रामगंजमंडी