जैसे किसान के लिए आषाढ़ का महत्व वैसे ही धर्म के लिए भी यह माह उत्तम मुनि श्री



 विदिशा-एक  किसान मौसम को पहचान कर आषाढ़ के महीने में अपनी जमीन से खरपतवार हटाकर बीज  को बोता है तो उसे उसके पुरुषार्थ का फल मिलता है और वह मालामाल हो जाता  है। जैसे किसान के लिए आषाढ़ के महीने का महत्व है उसी प्रकार श्रद्धालुओं  को धर्म के क्षेत्र में आषाढ़ मास का विशेष महत्व है।
उपरोक्त उदगार मुनिश्री समता सागर जी महाराज ने अरिहंत विहार जैन मंदिर में प्रवचन सभा में व्यक्त किए। प्रवचन कार्यक्रम का शुभारंभ श्री पारसनाथ स्वामी के एवं आचार्य श्री विद्या सागरजी महाराज के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं मंगलाचरण के साथ हुआ।
साधुजन एक स्थान पर रुक कर अपनी धर्म साधना करते हैं और समाज को भी इसका लाभ मिलता है
मुनिश्री  ने कहा कि इस काल में साधुजन एक स्थान पर रुक कर अपनी धर्म साधना करते हैं  और समाज को भी इसका लाभ मिलता है। उन्होंने कहा कि विदिशा में प्रवेश बिना  कोई गर्जना के शांतमय वातावरण के साथ हो गया है। आप लोगों ने सोशल  डिस्टेंस का पालन कर एक नया इतिहास रच दिया है। बिना किसी शोर शराबे के  दो-दो मुनि संघों का प्रवेश इस अरहंत विहार में करा दिया। सोशल डिस्टेंस के  साथ मुंह पर मास्क लगाकर ही रखें।
व्यवहार में विनम्रता से जो झुकता  है, वह ही आगे बढ़ता है: उन्होंने कहा कि मुनि श्री कुंथुसागर जी महाराज ने  लघुता प्रगट की उनकी इस बात पर मुनिश्री ने कहा कि प्रभुता को पाना है तो  लघु तो बनना ही होगा। उन्होंने कहा कि जब तक हम लघुता का बोध नहीं करेंगे  तब तक हम धर्म के विराट स्वरुप को नहीं पा सकेंगे। व्यवहार में विनम्रता से  जो झुकता है वह ही आगे बढ़ता है।
आत्मा अपना कल्याण करना चाहता हैं:  विदिशा का नाम भद्दलपुर है इसलिए जहां भद्र प्राणी रहते हैं वहां शीतलनाथ  विराजमान रहते हैं। कुंथुसागर जी महाराज ने कहा कि संसार की अनेक भव्य आत्मा अपना  कल्याण करना चाहता हैं, जिसके पास आत्म विश्वास और आत्म पुरुषार्थ है। मंच  पर ऐलक श्री निश्चय सागर जीमहाराज एवं ऐलक श्री सिद्धांत सागर  जीमहाराज  विराजमान थे।
        संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी

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