पूज्य मुनि श्री निकलंक सागर जी महाराज समाधिस्थ

     विश्व वन्दनीय आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री 108 निकलंक सागर जी महाराज आज हमसे ओझल हो गए लेकिन उनकी साधना, उनकी प्रेरणा, उनकी निष्प्रहता सदा जीवंत रहेगी।
   आपने मुनि जीवन के 8 वर्षो मे कठोर साधन की और प्राणी मात्र के कल्याण को और अग्रसर रहे युवाओ को धर्म से जोड़कर रखा। 
 शाकाहार का प्रचार धर्म का सच्चा मार्ग दिया आपने अपने उदबोधन से सभी को धर्म की और अग्रसर किया।
       है शाढोरा के नंदन 
    कोटि कोटि वन्दन

    संयम साधना को समर्पित जिनका जीवन 
  इन्हे करते भाव भीना नमन 
       अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी

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