कौन करता है इतनी चिंता...जितनी श्रीमन्त आपने की..

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आपकी बजह से ही अब मेरा भाई ये जंग जीतने की कगार पर है....
जब सिम्स के चिकित्सकों ने अचानक हाथ खड़े कर दिए और कहा कि आपके भाई को वेंटीलेटर की जरूरत है और हमारे यंहा वो व्यवस्था नहीं है तो मेरे हाथ पैर फूल गए,समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ कन्हा जाऊ.. जंहा भी पता लगा रहे थे सब जगह से एक ही जवाब मिल रहा था कि बेड नहीं है।मेरे इस कष्ट में मेरे साथ साये की तरह खड़े शिवपुरी के जिला टीकाकरण अधिकारी मेरे बड़े भाई संजय ऋषिस्वर ने मुझसे कहा कि किसी तरह सुपर स्पेशलिटी में भर्ती करवाओ,मुझे कुछ नहीं सूझा तो मैने एक व्हाटसअप मेसेज बनाकर श्रीमन्त को भेजा,चंद मिनट में ही मेरे पास रानी महल से श्री जायसवाल जी का फोन आया और बोले श्रीमन्त का संदेश है कि आपसे बात करूं, बताइये मै आपकी क्या मदद कर सकता हूँ? मेने उन्हें अपनी पीड़ा बताते हुए jh के सुपर स्पेशलिटी में एक बेड की व्यवस्था करने का निवेदन किया,उन्होंने तुरंत मेरा फोन काट दिया और चंद मिनट बाद ही उनका फोन आ गया कि आपके भाई के लिए बेड बुक हो चुका है आप अपने भाई को लेकर तुरन्त वँहा पहुँचे। इतना सुनकर तुरन्त मेने अपने भतीजे को कहा कि वो पापा को डिस्चार्ज करवाये,डिस्चार्ज करवाने की प्रक्रिया में भी काफी टाइम लगा और तकरीबन 10 बजे रात हम भाई को वँहा भर्ती करवाने में सफल रहे।इस काम मे हमारे मददगार श्री गिर्राज जी और गणेश जी भी बने,उन्होंने भी हमारे लिए काफी भागदौड़ की।
श्रीमन्त का काम यंही खत्म नही हुआ या यू कंहू तो ज्यादा ठीक होगा कि श्रीमन्त का काम अब यंहा से शुरू हुआ क्योंकि वो जानती थीं कि मेरा भाई डेंजर जॉन में है क्योंकि वह किडनी पेशेंट भी है।
श्रीमन्त ने देर रात यह पता लगाकर कि भाई का इलाज कौन चिकित्सक कर रहा है उनसे बात की और उस दिन से लेकर आज पांचवे दिन तक यह सिलसिला अनवरत जारी है।सुबह दोपहर शाम वो न सिर्फ चिकित्सक से बात करती है बल्कि भाई का मनोबल बढ़ाने के लिए उनसे भी बात करती हैं और मुझ भी यह आश्वस्त करती रहती है कि तुम जल्द भाई को स्वस्थ लेकर शिवपुरी जाओगे।
श्रीमन्त तो हमारे सम्पर्क में है ही साथ ही उन्होंने पहले ही दिन से रानी महल में कार्यरत श्री जायसवाल जी,शिवपुरी के राजेन्द्र शिवहरे जी,कप्तान भैया की ड्यूटी भी लगा रखी है,ये सभी लगभग हर घण्टे मेरे भाई का कुशलक्षेम पूछने फोन लगाते रहते है।जायसवाल जी तो कई बार भाई से भी बात कर चुके हैं।ये सभी मुझसे हमेशा पूछते रहते है कि कोई दिक्कत तो नहीं, कोई दिक्कत हो तो बताओ।
आज अचानक से मेरे मोबाइल पर जब युवराज जी का फोन आया और उन्होंने भी जब मेरे भाई का कुशलक्षेम पूछा तो मै अत्यंत भावुक हो गया? और स्वयं से पूछने लगा कि कौन करता है इतनी चिंता ?
मैने जो भी लिखा है अक्षरशः सत्य है,लेश मात्र भी अतिशयोक्ति नहीं।
श्रीमन्त अंत में मै सिर्फ इतना ही कह सकता हूँ कि आपके किये इस उपकार का मै इस जीवन मे कर्ज नही उतार सकता।

श्रीमन्त के चरणों मे सादर नमन..

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