सुनील शर्मा की कलम से - तो हम भी सम्मान कर सकते है ओर बहुत कुछ सीखना है हमें किन्नरों से ✍

तो हम भी सम्मान कर सकते है ..✍

सुनील शर्मा (प्र संपादक)  जिद्दी "रिपोर्टर"




बहुत कुछ सीखना है हमें किन्नरों से ?
जब कभी भी किन्नर शब्द हम लोग के बीच में आता है ,लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है  । लोग किन्नरों का मज़ाक उड़ाते हैं  , और उनके जीवन को हंसी ठिठोली मे उड़ा देते है , देखा जाए  आम इंसानों से बहुत ऊपर होते हैं  किन्नर।
किन्नरों को धर्म के नाम पर लड़ते हुए नहीं देखा होगा , गरीब इंसान को परेशान करते हुए नहीं सुना होगा । आपको किन्नरो के जीवन के बारे में कुछ बताता हूं ।
लोगों के जीवन मे खुशी के रंग और लोगों को खुश देखना यही किन्नरों का जीवन होता है । किन्नर समाज सुधार के लिए दल गत और जात पात से हटकर साथ रहते हैं ।




चाहे सुनीता हो , शबनम हो , या अनारकली एक साथ रहते हैं  एक साथ खाते हैं  , और एक साथ कमाने जाते हैं और एक साथ त्योहार मनाते ।  हम लोग इनके नाम से और इनकी वेशभूषा से इनका धर्म नहीं पहचान सकते
किन्नर  जिस घर में रहते हैं उसको घराना कहां जाता है इस घराने में तकरीबन 50 से 100 किन्नर रहते हैं जितने बुजुर्ग किन्नर होते हैं वह घर की देखभाल करते हैं और आराम करते हैं युवा किन्नर बाज़ारो मे,घरों में जाकर नाचते गाते हैं  और पैसे कमा कर लाते हैं यह पैसा उनके दल के गुरु को दिया जाता है और  गुरु किन्नर  हर चीज का ध्यान रखता है खाना  पीना कपड़े मोबाइल रिचार्ज बीमार पड़ने पर दवा और हर एक किन्नर के घरों पर समय समय पर पैसे भेजना ।




वैसे तो किन्नर सभी धर्मों को मानते हैं मगर उनके कुल देवता अरावन है । देवता अरावन अर्जुन और उलुपी के पुत्र थे किन्नर समुदाय केवल अरावन की पूजा करते हैं ,  केवल पूजा ही नहीं एक दिन का विवाह भी अरावन के नाम से करते हैं यह विवाह साल मे केवल एक बार ही होता है । और विवाह के दूसरे दिन अरावन देव जी की मृत्यु हो जाती है यह घटना महाभारत  में भी दर्ज  है । किन्नर भी विवाह के दूसरे दिन अरावन देव की मूर्ति सर पर रख कर पूरे शहर में जुलूस निकालते हैं इसके बाद मूर्ति को तोड़ दिया जाता है इसके साथ ही किन्नर अपना श्रृंगार उतारकर विलाप करते है और अपनी मांग से सिंदूर पोंछकर विधवा जीवन की शुरुआत करते है ।
किन्नरो की मृत्यु और शव यात्रा को लेकर अलग-अलग भ्रांतियां फैलाई जाती है कुछ लोग कहते हैं जब किन्नर की मृत्यु होती है तो किन्नर के शव को जूते से पीटा जाता है शव को घसीट कर मध्य रात्रि को अंत्येष्टि के लिए ले जाया जाता है , पर सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है जब कोई किन्नर की मृत्यु हो जाती है तो उसका शव किसी जिम्मेदार व्यक्ति को सौप दिया जाता है  वह व्यक्ति किन्नर का अंतिम संस्कार उसकी रीति-रिवाज से करता हैं किन्नरों को जलाया नहीं जाता उनको दफनाया जाता है किन्नर शव यात्रा में शामिल नहीं होते शामिल नहीं होने की वजह यह है  लोग किन्नरों को देखकर हंसी ठिठोली करने लगते हैं इसलिए वह यात्रा में शामिल नहीं होते ।




भोपाल नवाब किन्नरों का बहुत सम्मान करते थे इसकी वजह यह की ,  भोपाल में एक बार सूखा पड़ गया था भोपाल नवाब ने किन्नरों के गुरु को बुलाकर उनसे आग्रह किया था बारिश के लिए वह पूजा करें और ऊपर वाले से बारिश के लिए दुआ करें किन्नरों ने भोपाल नवाब के कहने पर व्रत रखें पूजा पाठ करी नमाज पढ़ी और ऊपर वाले से बहुत दुआएं की ऊपर वाले ने किन्नरों की दुआ सुन ली और भोपाल मे झमाझम बारिश होने लगी भोपाल नवाब किन्नरों के डेरे पर जाकर किन्नरों को धन्यवाद किया और किन्नरों के साथ बड़े तालाब तक गए तब से भोपाल में सावन के महीने में किन्नर भुजरियों का जुलूस निकालते हैं ।
एक और चीज भोपाल में बहुत मशहूर  है थर्ड जेंडर शौचालय नगर निगम द्वारा बनाया गया  यह शौचालय भारत में पहला शौचालय है जो पुराने भोपाल इतवारा क्षेत्र में  स्तिथ हैं।
अब कभी आपको कोई किन्नर दिखे तो उसका मजाक मत उड़ाये  बल्कि उसका सम्मान करें।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.