योगेन्द्र जैन पोहरी- मध्य प्रदेश में 2018 में चुनाव का बिगुल बजने को ही है।सांसद सिंधिया के युवा वाले बयान के बाद पोहरी क्षेत्र में युवा नेताओ का क्षेत्र में जन सम्पर्क तेज हो गया है।
बात करे पोहरी विधानसभा क्षेत्र तो यहां पर कांग्रेस को आखिरी बार 1993 में बैजंती वर्मा के रूप में जीत मिली थी, इसके बाद से 1998, 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस न केवल यहां से चुनाव हार रही है बल्कि उसका प्रदर्शन भी बहुत खराब रहा है। एक बार तो कांग्रेस प्रत्याशी को अपनी जमानत से हाथ धोना पड़ा था। इस बार कांग्रेस क्षेत्र में चुनाव जीतने के लिए पुरजोर प्रयास कर रही है। बात की जाए सांसद सिंधिया की इस सीट पर विशेष नजर देखी जा रही है क्योंकि लगातर हार मिलने के कारण इस चुनाव में युवाओ को मौका देखकर इस सीट को कांग्रेस के खाते में लाने का प्लान है।
पोहरी विधानसभा की बात करें तो यहां पर सिर्फ धाकड़ और ब्राह्मण वर्ग के वोटों की तूती बोलती है, खासकर धाकड़ बाहुल्य।
पोहरी क्षेत्र से स्थानीय व बाहर के बहुत से नेताओ की नजर इस सीट पर है और बहुत से लोग इस सीट अपना दावा ठोक चुके है। क्षेत्र की यदि बात करे तो लगातार जन सम्पर्क के माध्यम से जनता के बीच एक मजबूत पकड़ा युवा चेहरे ने बना की है।
धाकड़ वर्ग के स्थानीय नेताओं की बात करें तो युवा नेता शिशुपाल वर्मा का नाम क्षेत्र में तेजी से जनता के बीच से उभर का सामने आ रहा है। स्थानीय होने के चलते कांग्रेस में प्रबल दावेदार माना जा सकते है यदि जनता की बीच की आवाज हाईकमान द्वारा सुनी गई और पोहरी सीट को कांग्रेस अपने पाले में लाना चाहती है शिशुपाल वर्मा को कांग्रेस की ओर से दमदर चेहरा के रूप में देखा जा सकता है।जो धाकड़ वोटों को अपने पाले में लाने की क्षमता रखते हैं। राजनीतिक सूत्रों की मानें तो इस बार कांग्रेस धाकड़ उम्मीदवार पर दांव लगा सकती है, लेकिन कांग्रेस की नजर पहले तो भाजपा के टिकिट पर टिकीं रहेंगी। क्षेत्र में यदि टिकिट की बात करे तो सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की पसंद के चेहरे को क्षेत्र मे टिकिट दिया जा सकता है।
बात करे पोहरी विधानसभा क्षेत्र तो यहां पर कांग्रेस को आखिरी बार 1993 में बैजंती वर्मा के रूप में जीत मिली थी, इसके बाद से 1998, 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस न केवल यहां से चुनाव हार रही है बल्कि उसका प्रदर्शन भी बहुत खराब रहा है। एक बार तो कांग्रेस प्रत्याशी को अपनी जमानत से हाथ धोना पड़ा था। इस बार कांग्रेस क्षेत्र में चुनाव जीतने के लिए पुरजोर प्रयास कर रही है। बात की जाए सांसद सिंधिया की इस सीट पर विशेष नजर देखी जा रही है क्योंकि लगातर हार मिलने के कारण इस चुनाव में युवाओ को मौका देखकर इस सीट को कांग्रेस के खाते में लाने का प्लान है।
पोहरी विधानसभा की बात करें तो यहां पर सिर्फ धाकड़ और ब्राह्मण वर्ग के वोटों की तूती बोलती है, खासकर धाकड़ बाहुल्य।
पोहरी क्षेत्र से स्थानीय व बाहर के बहुत से नेताओ की नजर इस सीट पर है और बहुत से लोग इस सीट अपना दावा ठोक चुके है। क्षेत्र की यदि बात करे तो लगातार जन सम्पर्क के माध्यम से जनता के बीच एक मजबूत पकड़ा युवा चेहरे ने बना की है।
धाकड़ वर्ग के स्थानीय नेताओं की बात करें तो युवा नेता शिशुपाल वर्मा का नाम क्षेत्र में तेजी से जनता के बीच से उभर का सामने आ रहा है। स्थानीय होने के चलते कांग्रेस में प्रबल दावेदार माना जा सकते है यदि जनता की बीच की आवाज हाईकमान द्वारा सुनी गई और पोहरी सीट को कांग्रेस अपने पाले में लाना चाहती है शिशुपाल वर्मा को कांग्रेस की ओर से दमदर चेहरा के रूप में देखा जा सकता है।जो धाकड़ वोटों को अपने पाले में लाने की क्षमता रखते हैं। राजनीतिक सूत्रों की मानें तो इस बार कांग्रेस धाकड़ उम्मीदवार पर दांव लगा सकती है, लेकिन कांग्रेस की नजर पहले तो भाजपा के टिकिट पर टिकीं रहेंगी। क्षेत्र में यदि टिकिट की बात करे तो सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की पसंद के चेहरे को क्षेत्र मे टिकिट दिया जा सकता है।
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युवा नेता शिशुपाल वर्मा |