राजनीतिक हलचल-देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एससी एसटी एक्ट में गिरफ़्तारी के नियम में बदलाव किया था, सूत्रों के मुताबिक जिसके बाद पूरे देश में दलित सड़कों पर उतर आये थे और एक उग्र आन्दोलन कर विरोध जताया, जिसके बाद केंद्र सरकार को मजबूरन दलितों को साधने के लिए अध्यादेश लाना पड़ा, लेकिन अब यही अध्यादेश भाजपा के लिए मुसीबत बनता नजर आ रहा है।
गौरतलब है कि, दलितों के उग्र आन्दोलन के बाद सवर्ण समाज के लोगों ने मोर्चा संभाला और 6 सितम्बर को भारत बंद का आयोजन किया, जो देश में अब तक का सबसे सफल भारत बंद माना जा रहा है। हमारे पत्रकार के मुताबिक इस दौरान पूरे देश में कहीं भी उग्र या हिंसक प्रदर्शन नहीं किया गया, भले ही सवर्णों का भारत बंद उग्र न रहा हो, लेकिन मध्य प्रदेश में सवर्णों का विरोध दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है, गौर करने वाली बात यह है कि, इस विरोध का सामना उन सभी दलों का करना पड़ रहा है, जिनके हाथों में राज्य या केंद्र की सत्ता कभी न कभी रही हो। पत्रकार के मुताबिक इस सूची में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेन्द्र सिंह तोमर, कमलनाथ, प्रभात झा थावरचंद गहलोत समेत कई दिग्गज नेता शामिल हैं।
इसके साथ ही सवर्णों के आन्दोलन में अब बड़ा परिवर्तन भी देखने को मिला है, दरअसल, सवर्ण संगठन पहले एससी एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने की बात कर रहे थे, लेकिन संगठनों द्वारा अब इस कानून को पूरी तरह से खत्म करने की मांग की जा रही है, सूत्रों के मुताबिक वहीँ मामले में भाजपा-कांग्रेस सवर्णों के आन्दोलन के पीछे एक-दूसरे की साजिश होने की बात कह रही हैं, लेकिन सभी तथ्यों का आंकलन किया जाए तो पता चलता है कि, जमीनी स्तर पर इस आन्दोलन ने भाजपा-कांग्रेस दोनों का ही खेल बिगाड़ दिया है।
किसने बिगाड़ा है भाजपा-कांग्रेस का गणित
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Sunday, October 07, 2018
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