राजनीतिक हलचल-चुनाव कुछ ज्यादा ही मनोरंजक होता जा रहा है । कुछ भी समझ मे नहीं आ रहा है कि कौन किसके साथ है और किन कब किसका साथ छोड़ देगा । राजनीति इस कदर हावी है कि लोग अपनों को ही धोखा देने में गुरेज नहीं कर रहे हैं । मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने के बाद से ही चुनावी दंगल शूरू हो गया है। अब वोट बैंक में सेंधमारी से पहले नेताओं में सेंधमारी का खेल चल रहा है । बीजेपी ने कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में सेंध लगाई तो कांग्रेस ने भी बीजेपी को बड़ा झटका देने की तैयारी कर ली है। शनिवार को दिल्ली में एमपी प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की मौजूदगी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंज चौहान के साले और साधना सिंह के भाई संजय सिंह मसानी ने कांग्रेस का दामन थाम लिया।
कांग्रेस में शामिल होते ही उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी में संगठन कार्यकर्ताओं को मौका नहीं दिया जा रहा है। प्रदेश में अब कमल की नहीं कमलनाथ की जरूरत है। बता दें कि संजय सिंह मसानी बालाघाट की वारासिवनी सीट पर रुचि दिखाई है। वो इस सीट पर एक्टिव भी हुए और जनता के बीच भी गए हैं। मध्यप्रदेश में कमलनाथ के बाद संजय सिंह ही हैं जो मूलत: कारोबारी हैं और राजनीति भी करना चाहते हैं। संजय सिंह की बॉलीवुड में अच्छी पकड़ है। देश के कई उद्योगपति घरानों से संजय सिंह के अच्छे संबंध हैं।
भाजपा और शिवराज सिंह भले ही इस बात पर बोलने से बचते रहे हों लेकिन ये तो साफ है कि कुछ तो है जिसके कारण अपने ही शिवराज का साथ छोड़ रहे हैं । अभी हाल ही में कुछ दिन पहले किरार समाज के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सदस्य पिछड़ा वर्ग आयोग जो कि शिवराज सिंह के बेहद करीबी माने जाते थे, डॉ गुलाब सिंह किरार ने भी कांग्रेस का हाथ लिया था और अब साधना सिंह के भाई और शिवराज सिंह के साले फ़िल्म अभिनेता ने ये कहते हुए कमल छोड़ कमलनाथ का हाथ थाम लिया कि भाजपा कार्यकर्ताओं को मौका न देते हुए वंशवाद की राजनीति पर उतर आई है ।