दमोह-गणिनी प्रमुख 86 वर्षीय आर्यिका ज्ञानमती माताजी शुक्रवार को दमोह के इतिहास में पहली बार सुबह 10.30 बजे यहां पहुंचीं। व मंगल प्रवेश किया। वे सबसे ज्यादा उम्र की आर्यिका माताजी बताई जाती हैं। उनकी जगह-जगह भक्तों अगवानी की, व भारी भीड़ जमा रही।
ज्ञानमति माताजी का अदितिय योगदान
2016 में विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित करा चुकी हैं आर्यिका माता जी : आर्यिका ज्ञानमति माता जी के नाम पर विश्व की सबसे ऊंची 108 फीट की भगवान ऋषभदेवजी की पाषाण प्रतिमा नासिक के ऋषभदेवपुरम् मांगीतुंगी में 2016 में स्थापित कराने का रिकॉर्ड गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड में दर्ज है।
66 वर्ष से हैं आर्यिका,माताजी ने रचे 450 ग्रंथ : दिगंबर जैन त्रिलोक शोध संस्थान, जंबूद्वीप हस्तिनापुर की ज्ञानमती माताजी 66 वर्ष से आर्यिका हैं। वे अब दिगंबर जैन धर्म की गणिनी प्रमुख हैं। उन्होंने 66 वर्षों मे 450 ग्रंथ रचे। इसमे संसार व्यवहार धर्म, सदाचार, रामायण, सत्य, अहिंसा आदि से संबंधित किताबें हैं। उन्होंने लगभग हर विधा पर लिखा है।
86 साल में देखीं सात पीढ़ियां, घर छोड़े 66 साल हो गए
ज्ञानमति माताजी को घर छोडे़ हुए 66 वर्ष हो गए। वे एक ऐसी अनोखी माताजी हैं, जिन्होंने अपने परिवार की भी 7 पीढ़ियां देखी हैं एवं गुरु परंपरा की भी 7 पीढ़ियां देखी हैं। यहां पर बता दें कि माता जी यहां से अयोध्या तक जाएंगी। इससे पहले वे दमोह से कुंडलपुर के लिए स़ुबह बिहार करेगी। रात्रि विश्राम उन्होंने नन्हें जैन मंदिर धर्मशाला में किया। वहां से नैनागिर से होते हुए अयोध्या के लिए विहार करेगीं।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी