उज्जैन -जैनी होने के लिए जैनत्व जीवन में आना चाहिए। मात्र जैन कुल में जन्म लेने से ही हम जैनी नहीं बन सकते। गुरू को देखकर उनके प्रति प्रीति का भाव आता ही है। जैन धर्म में व्यक्ति विशेष की नहीं, उनके गुणों की पूजा की जाती है। यह बात ऋषिनगर दिगंबर जैन मंदिर में आर्यिका दुर्लभमति माताजी ने सम्यक दर्शन के तीसरे अंग निर्विचिकित्सा अंग पर प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने कहा यदि आपको पुण्य प्रबल नहीं है तो पुण्य प्रकृति भी पाप के रूप में आ जाएगी और पुण्य प्रबल है तो पाप प्रकृति पुण्य में बदल जाएगी। पुण्य बांधकर लाए हो तभी जैन कुल में जन्म मिला है। इसका उपयोग पूजा, विधान, देवदर्शन, गुरू चर्चा में सहयोग आदि में करना चाहिेए। मीडिया प्रभारी सचिन कासलीवाल ने बताया कि दुर्लभ माताजी संघस्थ सहित श्री आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर ऋषिनगर में विराजमान हैं। बुधवार सुबह 8.30 बजे से आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज का पूजन हुआ।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
