दिमाग चलाना ठीक है पर अपने हिसाब से दिमाग लगाना ठीक नहीं : आचार्यश्री



सागर-अाचार्य श्री विद्यासागर  जी महाराज ने रविवार काे दाेपहर बाद भाग्याेदय तीर्थ में धर्मसभा में प्रवचन दिए। 3.55 से 4.25 बजे तक यानी 30 मिनट उन्हाेंने जाे कहा वह यहां जस का तस दिया जा रहा है
अहिंसा परमाे धर्म की जय, अाचार्य कुंद कुंद सागरजी, अाचार्य ज्ञानसागर जी महाराज की जय। अाज रविवार है। जनता अाती है अाैर भूल जाती है कि जगह मिलेगी कि नहीं, जगह क्या है। जगह ताे दिल में मिलना चाहिए। जगह क्या है। यह लेने देने की नहीं, हमेशा दिल में जगह होना चाहिए। दिल में कितनी जगह है इसको हम नाप नहीं सकते, लेकिन हम जगह सबकाे दे सकते हैं।
दिमाग चलाना ठीक है पर अपने हिसाब से दिमाग लगाना ठीक नहीं हाेता है। हमें अपने इस पागलपन पर राेष अाना चाहिए। धन एेसे ही नहीं अा जाता, पसीना आने के बाद ही पैसा आता है। श्रद्धा दिल से करना है सिर से नहीं। इसके लिए आपको दिलदार होना पड़ेगा । बिना प्रयाेजन, पूजन का काेर्इ मतलब नहीं निकलता है। स्वाध्याय के बगैर पूजन करना व्यर्थ है।
शास्त्र गुरु की पूजन से अख्यात कर्मों की निर्जरा होती है। जितना समय शास्त्रों के सामने और जिन बिम्बों के सामने बैठकर पूजन करोगे, उससे भी कर्मों की निर्जरा होगी। केवल भगवान अनंत को जान रहे हैं और हम भी अनंत कर्म को जान रहे हैं। भक्त बनकर ही भगवान बना जा सकता है बिना भक्त बने भगवान बनना संभव नहीं है। चक्रवर्ती को भी भक्त बनना पड़ा था। यह वैभव नश्वर है माया के कारण सब परेशान हैं। णमोकार मंत्र की जाप से असंख्यात कर्मों की निर्जरा होती है। सागर में कर्इ माेड़ है चकराघाट पर चक्कर अा जाए, मैने रामपुरा, वर्णी कॉलोनी और गोपालगंज के अलावा कर्इ गलियां देखी हैं। महाराज हमारे इते अार्इयाे, हम भी कुछ कह सकते है भइया तुम्हे कुछ चाहिए ताे हमारे यहा अा जाना। शहर बड़ा होता जा रहा है। जो चलता है उसका ही विकास होता है और जो बैठा रहता है उसका विकास नहीं होता। भारत का इतिहास क्या था आपको पता है। इस देश का नाम भारत भगवान भरत के कारण पड़ा था हमें गौरव होना चाहिए यदि भीतर की आंख खुल गई तो केवल ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है। अटूट श्रद्धा से काेर्इ भी बात बन सकती है। यहां सर्वतो भद्र जिनालय यानी मंदिर बड़ा बन रहा है और इसे हमेशा खचाखच भरा रहना चाहिए। ऐसे जिनालय में आ कर आप सब दुनिया भूल जाएंगे, चारों तरफ, कहीं से भी मंदिर में प्रवेश करने पर पूरे चौबीसी भगवान के दर्शन आपको होंगे कहीं भी बैठ कर के जब आप पूछोगे आप को ध्यान करना होगा कि कहां से प्रवेश हुआ था कहां से नहीं। तीन खंड के इस ऊंचे मंदिर में 12 चौबीसी भगवान विराजमान होंगे। आप लोगों के उत्साह को देख कर लगता है कि काम अच्छा हो रहा है। इस मंदिर का स्वरूप दान के माध्यम से ही संभव है। प्रांगण में बन रहे विशाल मंदिर को देखने के लिए ऊपर से देव भी नीचे आएंगे।
              संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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