श्रीमंत के बाल सखा फिर श्रीमंत के आगे नतमस्तक------




राजनीतिक हलचल-कै. माधवराव सिंधिया के बाल सखा अब भाजपा नेता बालेन्दु शुक्ला की जीवनकथा श्रीमंत से श्रीमंत तक ही केन्द्रित दिखाई देती है। वैसे इन महाशय को काफी महत्वाकांक्षी भी बताया जाता है।
उनकी महत्वाकांक्षा इतनी ज्यादा थी कि सूबे में भाजपा की हुकूमत आने के बाद इन्होंने अपना बाल सखा के सुपुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ काम करने से परहेज कर भाजपा का दामन थाम लिया था। भाजपा में इनके आने के बाद खुद शहर के भाजपाईयों ने इन्हें महत्वाकांक्षी बताया था। ऐसे भाजपाईयों का कहना था कि पहले महाराज और कांग्रेस सरकार में मजे करने के बाद बालेन्दु अब भाजपा की हुकूमत में मजे करने आये है। अब एक बार फिर हुकूमत कांग्रेस की आने के बाद बालेन्दु एक तस्वीर आने के बाद सुर्खियों में है। राजमाता की पुण्यतिथि पर छत्री पर आयोजित स्मृति सभा में पहुंचे पूर्व मंत्री कै. महाराज की बहन यशोधरा राजे के सामने नतमष्तक दिखाई दिये।
अब इन महाशय से ये पूछिये श्रीमंत के बाल सखा होने के बाबजूद उन्हीं के सुपुत्र ज्योतिरादित्य के साथ काम करने से पहरेज कर भाजपा में जाने के बाद भी आपकी महत्वकांक्षा आपको श्रीमंत तक ही फिर ले आई। वैसे भी इन महाशय ने भाजपा की सरकार में आयोग के अध्यक्ष पद के सुख का भी जमकर सेवन किया। कांग्रेस सरकार में मंत्री का सुख भी श्रीमंत के सहारे ही पाया। इसलिए ही तो इन बाल सखा को अतिमहत्वाकांक्षी बताया जाता है। उनकी जीवन डगर पर नजर डाली जाये तो श्रीमंत से श्रीमंत और अतिमहत्वाकांक्षा की लालसा से ग्रस्त दिखाई देती है।

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