धर्म की शुरुआत सच्ची आस्था और श्रद्धा से होनी चाहिए : आर्यिका विभाश्री




कोटा-मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन मंदिर आरकेपुरम में शुक्रवार सुबह 5 बजे सहस्रनाम मंत्र का जाप व भक्तामर का पाठ हुआ। आर्यिका विभा श्री माताजी ससंघ के सानिध्य में भगवान की शांति धारा हुई। धर्म सभा में आर्यिका विभा श्री माताजी  ने कहा कि जिन्हें धन के प्रति आसक्ति है वे धर्म नहीं कर सकते हैं। संपत्ति के पहले सन्मति होना जरूरी है। विलासिता पूर्ण जीने की आकांक्षा नहीं रखें। उन्हाेंने कहा आत्मा के अंदर का वैभव शाश्वत है, बाहर का वैभव पराधीन है। जैन शासन कहता है ईर्ष्या नहीं करें।
     संकलन अभिषेक जैन लूहाडिया रामगंजमंडी

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