प्राणी अज्ञानता के कारण अनादि काल से भटक रहा है, मुक्ति का मार्ग प्रशस्त नहीं कर पा रहा:विमलसागर जी



दमोह -शहर के दिगंबर जैन नन्हें मंदिर में आचार्यश्री विद्यासागर जी  महाराज के शिष्य मुनिश्री विमल सागरजी, अनंत सागरजी, धर्म सागरजी, अचल सागरजी एवं मुनिश्री भाव सागर  जी महाराज ससंघ की ग्रीष्मकालीन वाचना चल रही है। शुक्रवार को प्रातः काल आचार्यश्री के पूजन के बाद धर्म सभा हुई। जिसमें इष्टोपदेश ग्रंथ में छिपे गूढ़ रहस्यों का सार समझाते हुए मुनिश्री विमलसागर जी  महाराज ने अनेक उदाहरणों के जरिए बताया कि किस तरह से संसारी प्राणी जन्म जन्मांतर से जन्म-मरण के फेर में उलझा हुआ है। और चाहकर भी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त नहीं कर पा रहा है। मुनिश्री ने कहा कि यह संसारी प्राणी इस संसार समुद्र में अज्ञान के कारण अनादि काल से राग-द्वेष रूपी दो लंबी डोरियों के खींचने रूप कार्य से अर्थात घुमाई जाती हुई मथानी की तरह घूम रहा है। जिससे मुक्ति पाने के लिए ज्ञान रूपी पतवार से चलने वाली धर्म रूपी नाव की सवारी आवश्यक है। सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र को जीवन में धारण करने वाला एक न एक दिन अज्ञान के अंधकार से बाहर निकल कर जन्म-जन्म अंतरण से मुक्ति पाने के लिए मार्ग की ओर अग्रसर हो जाता है।
मनुष्य जैसे वस्त्र पहनता है वैसा ही उसका व्यक्तित्व दिखता है। मुनिश्री भावसागर जी
शाम को मुनिश्री भावसागर जी  महाराज ने कहा कि मनुष्य जैसे वस्त्र पहनता है वैसा ही उसका व्यक्तित्व दिखता है। रंगों का व्यक्ति के जीवन से अटूट संबंध है। व्यक्ति के स्वभाव, मन: स्थिति, शरीर और आत्मा पर इनका गहरा प्रभाव पड़ता है। काला रंग हिंसा और क्रूरता के विचार उत्पन्न करता है। पीला रंग क्रोध को कम करता है। पीला रंग गुरू का होता है इस का ध्यान करने से गुरुकृपा बनी रहती है। सफेद रंग निर्मलता, क्षमा, त्याग और विकार रहितता उत्पन्न करता है।
        संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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