चिंता करने वालों के साथ नहीं, चिंतन करने वालों के साथ रहना चाहिए : आचार्य विमद सागर जी



रींछा -सुपाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में विराजमान आचार्य विमद सागरजी महाराज ने रविवार को धर्म सभा को सं‍बोधित किया। उन्होंने कहा कि आंख खुलती है तो चिंता नींद नहीं आती है क्योंकि हो रही है चिंता, किसकी चिंता, कैसी चिंता और कितनी चिंता जिसने ईमानदारी से पैसा कमाया है उसको चिंता नही होती है। जिसने किसी के साथ बुरा व्यवहार नहीं किया उसे किस बात की चिंता नहीं होती है।
आप कितनी ही चिंता करो रो चिल्लाओ पर कर्म के आगे किसी की नहीं चलती है। जैन बंधु को सब चीज में कंजूसी करनी चाहिए जैसे कपड़े खरीदने में, बर्तन खरीदने लेकिन कभी भी दिगंबर गुरु को आहार देने में कंजूसी नहीं करना चाहिए। जिस का खानपान सही नहीं है उसका खानदान सही नहीं होता है। जिनके पास न घर है न मकान न गाड़ी हैं न सम्पति जबकि उनको कोई चिंता नहीं हैं तो आप क्यों चिंता कर रहे हो।
मुनिराज का जीवन चिंता में नहीं चिंतन में व्यतीत होता है। गुरु के सानिध्य में रहो चिंता मुक्त हो जाओगे धन्य है मुनिराज जो ध्यान, ज्ञान, चिंतन में लीन रहते हैं।
      संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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