बीना-सुपार्श्वनाथ जिनालय में आयोजित सिद्धचक्र महामंडल विधान के शुभारंभ पर मुनिश्री प्रयोग सागरजी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि महानगरों में अध्ययनरत प्रत्येक छात्र को दृढ़ संकल्पित होना जरूरी है। बुरी संगति से बचने के लिए उसको प्रत्येक पल सतर्क रहना चाहिए। अच्छी संगति करने से व्यक्तियों के जीवन में बड़े-बड़े परिवर्तन आते हैं। लेकिन क्या करें आज तो पूरा परिवेश ही उल्टा हो गया है। आज अच्छे-अच्छे लोग भी बिगड़ जाते हैं। शिक्षित लोगों में इस तरह के व्यसनों की प्रवृत्तियां क्यों बढ़ गईं इसके पीछे भी आज के शिक्षा संस्थान जवाबदार हैं।
मुनिश्री ने कहा कि स्कूल तक की लाइफ अलग होती है। बड़ा अनुशासन होता है लेकिन स्कूल के उपरांत बच्चे जैसे ही काॅलेज में जाते हैं उनके पास पूर्ण उन्मुक्तता और आजादी आ जाती है। वहीं उनके जीवन में शिथिलता आने लगती है। माता-पिता उच्च शिक्षा संस्थानों में अपने बच्चों को शिक्षा के लिए भेजते हैं लेकिन उनके संस्कारों की तरफ कभी ध्यान नहीं देते। बच्चों को जब आप उच्च शिक्षा संस्थानों में भेजें तो उनको कुछ हिदायतें दें। आजकल मां-बाप में भी यह कमी है कि वो अपने बच्चों को पढ़ाई का तो पूरा ख्याल रखते हैं। लेकिन उनके संस्कारों की तरफ उनका ध्यान नहीं रहता। वे ये नहीं देखते कि उन बच्चों के संस्कारों का क्या हाल हो रहा है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
मुनिश्री ने कहा कि स्कूल तक की लाइफ अलग होती है। बड़ा अनुशासन होता है लेकिन स्कूल के उपरांत बच्चे जैसे ही काॅलेज में जाते हैं उनके पास पूर्ण उन्मुक्तता और आजादी आ जाती है। वहीं उनके जीवन में शिथिलता आने लगती है। माता-पिता उच्च शिक्षा संस्थानों में अपने बच्चों को शिक्षा के लिए भेजते हैं लेकिन उनके संस्कारों की तरफ कभी ध्यान नहीं देते। बच्चों को जब आप उच्च शिक्षा संस्थानों में भेजें तो उनको कुछ हिदायतें दें। आजकल मां-बाप में भी यह कमी है कि वो अपने बच्चों को पढ़ाई का तो पूरा ख्याल रखते हैं। लेकिन उनके संस्कारों की तरफ उनका ध्यान नहीं रहता। वे ये नहीं देखते कि उन बच्चों के संस्कारों का क्या हाल हो रहा है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

