जंगल वाले बाबा मुनि श्री चिन्मय सागर जी महा मुनिराज को समर्पित



जहाँ कदम ये रख देते जंगल मे  मंगल कर देते है*
*यह है जंगल वाले बाबा जग को निहाल कर देते हैं*
*कोटा के भक्त आये है आस ह्रदय में लाये है युग युग गुरु रहे* *यही भाव ह्रदय में सजाये  है*
*कोटा बोरा बॉस का वह जंगल*
*जहां मेला गुरुवर ने लगा दिया* *मीणा  भील गुजर्र  पर बड़ा उपकार किया*
*अण्डा मास मछली का त्याग उनको करा दिया*
*आपके दर्शन करने गुरुवर मैं जब जब    आता था*
*आपसे हाथ जोड़कर एक भावना भाता था*
*एक जैन टी वी चेनल खुलवा दो गुरु यह भाव ह्रदय में आता था*
*पारस टी वी चेनल देकर गुरुवर तुमने  बड़ा उपकार किया*
*कहा मुझसे बड़ौत नगरी में ""ओ पारस "" तेरे नाम को घर घर पहुँचा दिया*
*मेने कहा गुरु सपना मेरा साकार हुआ सम्मेद शिखर के पारस* *बाबा को घर घर तक पहुँचा दिया।*।
*हम सब मिल यह भावना वीर प्रभु से भाते है गुरुवार स्वास्थ निरोग रहे युग युग तक आशीष मिले*
*पारसमणि सम जीवन हो सबका* *यह आशीष गुरू जी दे देना*
*भव बन्धन जग के छूट जाए*
*भव पार हमे भी कर देना।*
*✍✍✍✍रचियता✍✍✍✍*
*राष्ट्रीय संवाद दाता*
*पारस जैन "पार्श्वमणि "पत्रकार कोटा (राज)*
*

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.