मुनि श्री तरुणसागर जी महाराज के के चरणों मैं भाव भीनी अभिव्यक्ति


प्रथम पुण्य तिथि पर भाव भीनी विनयांजलि
जो ज्योति पूज बनकर इस धरा पर आया
वह मुनि तरुण सागर कहलाया
जिसने वर्ष 2000 लाल किले की प्राचीर से अहिंसा शांति का उद्घोष कर दिखाया वह मुनि तरुण सागर कहलाया
वर्ष 1996 रामगंजमंडी की पावन माटी पर जब आपके चरण पडे सारा नगर आपके आगमन को पलक फावडे बिछाकर अगवानी कर रहा था लगभग एक माह के प्रवास जो धर्म की प्रभावना हुयी वह सचमुच एक मिसाल थी हर वर्ग उनकी वाणी को सुनने को आतुर था मानो ऐसा लगता जैसे साक्षात दिव्य ध्वनि खिर रही हो इतना ही नहीं अहिंसा शांति का उद्घोष लिए एक कवी सम्मलेन भी आहूत हुआ जो अदितीय रहा वही प्रथम बार युवा चेतना का उत्साह इतना था की अहिंसा शान्ति का उद्घोष लिए एक पदयात्रा मुनि श्री के सानिध्य मे 2 FEB से 7 FEB तक 1996 मे निकाली गई जो कोटा जाकर सम्पन्न हुयी उनके समीप उनकी वाणी उनकी आशीष का अवसर प्राप्त हुआ
प्रवचनों के कडवे वचन पर स्वभाव के निर्मल मुनि श्री तरुण सचमुच तरुणों मे तरुण क्रांति के उद्घोषक थे
अहिंसा का उद्घोष किया जन जन का ह्रदय परिवर्तित किया
सचमुच मुनि श्री आपने जिनशासन को जयवंत किया
जन जन की अखिया आज भर आई
मुनि श्री आपको भाव भीनी विदाई
शत शत नमन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी

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